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चलईया व्रत का शुभारंभ : आस्था, तपस्या और समाजिक एकजुटता का पर्व

हिसार से राजेश सलूजा की रिपोर्ट।



हिसार।
युवा शक्ति ध्वजारोहण सेवा सदन वेलफेयर सोसायटी के तत्वावधान में शनिवार को चलईया व्रत का शुभारंभ धार्मिक अनुष्ठानों और गगनभेदी जयकारों के बीच हुआ। सोसायटी के संस्थापक बलविन्द्र सिंह ने सेठी चौक स्थित कार्यालय में विधिवत पूजन कर इस 40 दिवसीय व्रत की शुरुआत की। तत्पश्चात उन्होंने नगर के विभिन्न मंदिरों का दर्शन किया और विशेष रूप से श्री हनुमान मंदिर में ध्वज अर्पित कर सिन्दूरी चोला चढ़ाया।

पूरे आयोजन के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। मंदिरों में घंटा-घड़ियाल और “जय बजरंगबली” के नारों से वातावरण गुंजायमान रहा। लोगों में खासा उत्साह था, क्योंकि शनैश्चरी अमावस्या से दशहरा तक चलने वाला यह व्रत पूरे उत्तर भारत में आस्था का बड़ा पर्व माना जाता है।

बलविन्द्र सिंह का तप और संकल्प

संस्थान के संस्थापक बलविन्द्र सिंह ने बताया कि वे स्वयं पिछले लगभग 40 वर्षों से निरंतर इस व्रत का पालन कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह केवल साधना नहीं बल्कि आत्मानुशासन, तप और आस्था का संगम है।
उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा—

  • इन 40 दिनों में नमक का पूर्ण निषेध होता है।
  • भोजन केवल एक समय किया जाता है।
  • प्रतिदिन हवन, जप और अनुष्ठान किए जाते हैं।
  • श्री सुन्दरकाण्ड का पाठ हर दिन अनिवार्य रूप से होता है।

बलविन्द्र सिंह का मानना है कि चलईया व्रत के दौरान व्रती स्वयं को श्री हनुमान जी के स्वरूप में ढालते हैं, जिससे न केवल आंतरिक शक्ति और धैर्य बढ़ता है बल्कि समाज में धार्मिक जागृति और एकजुटता का भी संचार होता है।

चलईया व्रत की धार्मिक महत्ता

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चलईया व्रत की शुरुआत शनैश्चरी अमावस्या से होती है और दशहरे तक चलता है। यह अवधि श्रीराम भक्त हनुमान जी की विशेष उपासना का समय मानी जाती है। कहा जाता है कि इन दिनों में श्री हनुमान जी का ध्यान, उपवास और सेवा करने से जीवन में सुख, शांति और शक्ति प्राप्त होती है।
पौराणिक मान्यता यह भी है कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की विजय यात्रा से पूर्व वानर सेना ने भी तप, संयम और आस्था के माध्यम से अपनी शक्ति को जागृत किया था। उसी परंपरा की झलक आज चलईया व्रत में देखने को मिलती है।

सामाजिक और सांस्कृतिक पक्ष

यह व्रत केवल व्यक्तिगत साधना तक सीमित नहीं है। इसके आयोजन के दौरान नगर और समाज में विभिन्न धार्मिक गतिविधियाँ होती हैं—

  • मंदिरों में अखंड रामायण पाठ और भजन संध्या
  • शोभायात्राएँ और झांकियाँ
  • सामूहिक भंडारे और सेवा कार्य
  • गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र वितरण

इससे समाज में भाईचारे, सहयोग और एकजुटता की भावना प्रबल होती है। विशेषकर पानीपत और आसपास के इलाकों में लोग इस व्रत का सालभर इंतजार करते हैं। यह क्षेत्र आज चलईया व्रत की परंपरा के लिए पूरे देश में पहचाना जाता है।

आगामी चालीस दिन : आस्था का महासंगम

चलईया व्रत की शुरुआत के साथ ही आने वाले 40 दिन धार्मिक गतिविधियों से सराबोर रहेंगे। मंदिरों और धर्मशालाओं में सुबह-शाम भजन, कीर्तन और हवन होंगे। कई स्थानों पर शोभायात्राएँ निकलेंगी और दशहरे के दिन इसका समापन भव्य स्वरूप में होगा।

बलविन्द्र सिंह ने कहा—“यह केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीका है। जब इंसान खुद को अनुशासित करता है, नमक त्यागता है, संयमित आहार करता है और प्रभु का नाम जपता है, तो उसकी आत्मा शुद्ध होती है और समाज भी शुद्ध मार्ग की ओर अग्रसर होता है।”

गणमान्य और श्रद्धालुओं की सहभागिता

इस शुभ अवसर पर शहर के अनेक गणमान्य नागरिक और श्रद्धालु उपस्थित रहे। जिनमें जसबीर सिंह, नरेश पपरेजा, महेन्द्र कुमार, सुरेन्द्र कादियान, दीपक कुमार, बलवन्त कपूर, विक्रम सिद्धवानी, राजेश आहुजा, सन्नी लखीना, आलोक मुल्तानी, हरीश बठला, रमेश कुमार, गुलशन सोई, सुरेन्द्र सोईं, सुरेन्द्र सोनी, हेमन्त अनेजा, राजू मक्कड़, सुखविन्द्र सिंह, तरूण डाबर, मोनू रामदेव, राहुल कुमार, तरणदीप सिंह, कुलदीप सिंह, सागर मिगलानी, सुषमा पपरेजा, रिया रामदेव, पूनम शर्मा, अनिता सहगल सहित अनेक श्रद्धालु शामिल हुए।

आस्था से आत्मबल तक

चलईया व्रत न केवल धार्मिक अनुशासन और तपस्या का पर्व है, बल्कि यह समाज को संगठित करने और एक सकारात्मक वातावरण निर्मित करने का भी माध्यम है। इन 40 दिनों में व्यक्ति अपने आचरण, आहार और विचारों में शुद्धता लाता है और सामूहिक रूप से समाज में भक्ति, सद्भाव और सहयोग का वातावरण निर्मित करता है।
आज जब समाज में आपसी कटुता और भौतिकता बढ़ रही है, ऐसे समय में इस प्रकार के पर्व हमें यह संदेश देते हैं कि सच्चा बल संयम, आस्था और परस्पर सहयोग में ही निहित है।

चलईया व्रत का शुभारंभ : आस्था, तपस्या और समाजिक एकजुटता का पर्व चलईया व्रत का शुभारंभ : आस्था, तपस्या और समाजिक एकजुटता का पर्व Reviewed by PSA Live News on 7:45:00 pm Rating: 5

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