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भारत बनाम अमेरिकी डीप स्टेट: आने वाले वर्षों की सबसे बड़ी भू-राजनीतिक जंग

 लेखक : अशोक कुमार झा - प्रधान सम्पादक - रांची दस्तक एवं PSA लाइव न्यूज़   

पिछले सौ वर्षों से अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा महाशक्ति राष्ट्र रहा है। उसने हर उस ताकत को खत्म कर दिया, जिसने उसके वर्चस्व को चुनौती देने की कोशिश की। जापान ने चुनौती दी हिरोशिमा और नागासाकी ने सब देख लिया। सोवियत संघ (USSR) ने चुनौती दी उसे 17 टुकड़ों में तोड़ दिया गया। इराक ने सिर उठाया एक दशक में बर्बाद हो गया। ईरान पर दशकों से आर्थिक और राजनीतिक हमले जारी हैं।

आज यही नजरें भारत पर हैं।

भारत का उदय: खतरे की घंटी क्यों?

पिछले 10 सालों में भारत ने जिस तरह आत्मनिर्भरता, तकनीकी विकास और भू-राजनीतिक प्रभाव में छलांग लगाई है, उसने अमेरिकी थिंक टैंक्स को बेचैन कर दिया है। क्योंकि भारत अब सिर्फ एक उभरती अर्थव्यवस्थानहीं है, बल्कि एक ऐसा देश है जो अमेरिका को भी चुनौती देने की क्षमता रखता हैऔर यही उनकी सबसे बड़ी चिंता है।

अमेरिकी ताकत का असली हथियार उसका उद्योग और तकनीक है। दुनिया के शीर्ष 10 उद्योगपतियों में से 8-9 अमेरिकी ही होते हैं। जब चीन के जैक मा ने इस सूची में तीसरा स्थान पाया, तो उन पर ऐसे हमले हुए कि उन्हें सार्वजनिक जीवन से पीछे हटना पड़ा। अब यही खेल भारतीय उद्योगपतियों अडानी और अंबानी के खिलाफ भी खेला जा रहा है।

अडानी: भारत की ऊर्जा क्रांति और विदेशी हमला

अडानी ग्रुप भारत की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना दुनिया की सबसे कम लागत वाली ग्रीन हाइड्रोजन योजनापर काम कर रहा है। अगर यह सफल होती है, तो भारत की तेल-गैस पर निर्भरता कम होगी और वह ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बन जाएगा। यह वही कमजोरी है, जिसके कारण 1991 में भारत को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था।

हिंडनबर्ग जैसे हमले सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक हैं ताकि भारत की ऊर्जा स्वतंत्रता की दिशा में बढ़ते कदम को रोके जा सकें। क्योंकि सीएनबीसी ने यह भविष्यवाणी कर दी थी कि अडानी दुनिया के दूसरे ट्रिलियनेयर बन सकते हैं, और उसके तुरंत बाद उन पर हर तरह से हमले और तेज हो गए।

ओपेरेशन सिंदूर: अमेरिका के लिए असली खतरे की घंटी

पिछले दो साल से भारत रूस से तेल ले रहा है अमेरिका को कोई परेशानी नहीं हुई। भारत 11 साल से अमेरिका पर समान टैक्स लगा रहा है उसके लिये भी कोई प्रतिक्रिया नहीं। भारत ने अमेरिका के सख्त विरोध के बावजूद S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदा फिर भी कोई बड़ी समस्या नहीं आई ।

लेकिन अब हालात बदले हैं ओपेरेशन सिंदूर के बाद। इस ऑपरेशन में भारत ने अमेरिकी रणनीतिक ठिकानों को अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान पहुंचाने की क्षमता दिखाई, जिसमें नूर बेस भी शामिल है। क्योंकि यह सिर्फ एक सैन्य सफलता नहीं थी यह अमेरिका के डीप स्टेट के लिए एक गहरा संदेश था कि भारत की सैन्य क्षमता अब विश्वस्तरीय है, और सीमित संसाधनों में जो भारत कर सकता है, वह अमेरिका-रूस-इजरायल जैसे देश भी नहीं कर सकते।

इस ऑपरेशन ने साफ कर दिया अगर भविष्य में अमेरिका को कोई चुनौती देगा, तो वह चीन नहीं, भारत होगा।

अगले 4 साल: सबसे बड़ी परीक्षा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। यह कोई राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि एक सख्त चेतावनी है। साथ ही आने वाला 4 साल अब हिंदुस्तान के लिए संघर्षपूर्ण और निर्णायक होंगे।

क्योंकि अब अमेरिका वह हर हथकंडा अपनाएगा को अपनाएगा जो वह कर सकता है, जैसे

  • पाकिस्तान को भड़काना,
  • सीमाओं पर अशांति फैलाना,
  • बड़े उद्योगपतियों पर आर्थिक हमले,
  • मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए जनमत को तोड़ना,
  • यहां तक कि राजनीतिक अस्थिरता और नेतृत्व को निशाना बनाना।

डीप स्टेट का खेल और भारतीय जयचंद

अमेरिका और उसके सहयोगियों के पास साम, दाम, दंड, भेद सब कुछ है लेकिन उन्हें सफलता तबतक नहीं  मिलती है, जबतक अपने ही देश के भीतर से लोग उनका साथ न दें।
दुर्भाग्य से हमारे यहाँ भी ऐसे जयचंदों की कोई कमी नहीं है । जैसे

  • बिकाऊ नेता,
  • खरीदी गई मीडिया,
  • विदेशी एजेंडे पर काम करने वाले तथाकथित बुद्धिजीवी,
  • और सोशल मीडिया पर भारत विरोधी नैरेटिव फैलाने वाले ग्रुप।

इनकी पहचान जरूरी है, क्योंकि ये देश की तरक्की के हर कदम में रोड़े अटकाते हैं, और विदेशी ताकतों को भारतीय लोकतंत्र में बार बार सेंध लगाने का मौका देते हैं।

आत्मनिर्भर भारत बनाम विदेशी एजेंडा

हिंदुस्तान की सबसे बड़ी ताकत उसका 140 करोड़ लोगों का बाजार है। अगर आज हिंदुस्तान आत्मनिर्भर हो जाता है, तो अमेरिका, यूरोप, चीन और अरब देशों के लिए अरबों डॉलर का बाजार ही खत्म हो जाएगा। और यही वजह है कि विदेशी ताकतें हिंदुस्तान में हमेशा कमजोर और मिश्रित सरकार चाहती हैं, जिसे गिराने का डर हर समय बना रहे। क्योंकि पिछले 10 सालों में हिंदुस्तान ने जो स्थिर सरकार और मजबूत नेतृत्व का लाभ उठाया है यह उन्हें बहुत ज्यादा खटक रहा है।

जागरूकता ही सुरक्षा है

हिंदुस्तान आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहां वह अगले 20 साल में या तो महाशक्ति बन सकता है, या विदेशी चालों का शिकार होकर एक बार फिर पिछड़ सकता है। इसलिए जरूरी है कि भारतीय नागरिक इन खेलों को पहचानें, अपने उद्योगपतियों, तकनीक और सेना के साथ खड़े रहें। क्योंकि याद रखिए किसी भी देश की ताकत सिर्फ उसकी सेना नहीं, बल्कि उसके उद्योगपति और उनका वैश्विक प्रभाव भी होता है ।

अगर आज अडानी, अंबानी, टाटा, महिंद्रा दुनिया को चुनौती दे रहे हैं, तो हमारे यहाँ इनकी बर्बादी का जश्न मनाने वाले लोग किसी विदेशी एजेंट से कम नहीं हैं । अब समय आ गया है कि हम अपने असली दुश्मन को पहचानें चाहे वह बाहर बैठा हो या हमारे बीच छिपा हो।

क्योंकि राष्ट्र प्रथम और देश का दुश्मन हमारा दुश्मन।

 

 

भारत बनाम अमेरिकी डीप स्टेट: आने वाले वर्षों की सबसे बड़ी भू-राजनीतिक जंग भारत बनाम अमेरिकी डीप स्टेट: आने वाले वर्षों की सबसे बड़ी भू-राजनीतिक जंग Reviewed by PSA Live News on 11:15:00 am Rating: 5

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