माताएं संतान की दीर्घायु एवं सुख- समृद्धि के लिए रखती है निर्जला व्रत: संजय सर्राफ
विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग एवं श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि जितिया पर्व 14 सितंबर दिन रविवार को है। जितिया व्रत हर वर्ष आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। हिंदू धर्म मे जितिया पर्व को जीवित्पुत्रिका व्रत और जिउतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू सनातन धर्म का यह एक महत्वपूर्ण पर्व है जितिया पर्व मुख्य रूप से झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश मे बड़े ही उत्साह पूर्वक मनाया जाता है। इस वर्ष जितिया पर्व का आरंभ 13 सितंबर को नहाय-खाय के साथ होगा। इसके बाद 14 सितंबर को महिलाएं पूरे विधि-विधान से जीवित्पुत्रिका व्रत रखेंगी और अगले दिन यानी 15 सितंबर को व्रत का पारण कर व्रत संपन्न किया जाएगा। यह व्रत माताएं अपने पुत्रों की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और सुख समृद्धि के लिए करती है। इस दिन महिलाएं 24 घंटे तक निर्जला व्रत उपवास रखती है। जितिया व्रत की माताएं संतान की दीर्घायु, सुखी और निरोगी जीवन के लिए जितिया व्रत रखती है, व्रत वाले दिन महिलाएं नये वस्त्र धारण करती है। तथा उपवास के दिन जीमूत वाहन देव की पूजा पूरे विधि विधान से करती है। पूजन पर नारियल, खीरा, चना, खाजा समेत अन्य पूजा सामग्री चढ़ाते हैं। इस दिन व्रत करने के साथ जो माताएं पूजा के दौरान व्रत कथा पढ़ती और सुनती है उन्हें कभी भी संतान वियोग नहीं सहना पड़ता है, हिंदू धर्म मे व्रत से पूर्व संतुलित आहार का बहुत महत्व दिया गया है, जितिया व्रत से पूर्व महिलाओं के खान-पान का पूरा ध्यान रखा जाता है इस संतुलित आहार के कारण लंबी अवधि तक शरीर को ऊर्जा मिलती है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से सभी साधक को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। जो माताएं इस व्रत का पालन करती है इस व्रत का फल उनके बच्चों को बुरे स्थिति से बचाता है साथ ही साथ इस व्रत के प्रभाव से संतान की सुखों की प्राप्ति होती है। जितिया व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक ही सीमित नहीं है, यह माता पुत्र के अटूट बंधन आस्था तथा त्याग की मूर्ति है इस व्रत के माध्यम से नारी अपने संतान के प्रति अगाध प्यार और समर्पण व्यक्त करती है और यही भावना इस पर्व को जीवंत बनाती है।

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