हरियाणा/हिसार (राजेश सलूजा)। वरिष्ठ समाजसेवी एवं शिक्षिका पूजा सरदाना द्वारा बच्चो में मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहे बुरे असर को लेकर पत्रकारों से रूबरू होते हुए समाजसेवा के क्षेत्र में कार्य करने वाली शिक्षिका पूजा सरदाना ने बताया कि हम देख रहे है कि आज के आधुनिक युग मे बच्चो के लिए मोबाइल का अधिकतम प्रयोग जहा माता पिता के लिए सर दर्द बना हुआ है वहीं मोबाइल की बढ़ती लत बच्चो के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को दीमक की तरह खोखला कर रही है बच्चो में मोबाइल का बढ़ता प्रयोग शहर ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में तेजी से पैर पसार रहा है अब तो एक से डेढ़ साल के मासूम बच्चे को उसकी माता द्वारा मोबाइल स्क्रीन का प्रयोग करते हुए दूध पिलाते हुए देखना आम बात हो गई है लेकिन मोबाइल का ये अंधाधुंध प्रयोग जहा बच्चो के शारीरिक और मानसिक विकास को बुरी तरह प्रभावित कर चिड़चिड़ा बना रहा है वहीं उनकी एकाग्रता कमजोर होने के साथ आंखों की रोशनी कमजोर होना. निंद्रा में बाधा, मोटापा, मानसिक तनाव और सामाजिक व्यवहार में बदलाव का बड़ा कारण बन रहा ।
हालांकि बच्ची की इस आदत कहीं न कहीं हम पेरेंट्स पीछे के ही जिम्मेदार हैं क्योंकि बच्चों को सबसे पहले गैजेट्स से परिचित कराने वाले भी हम ही होते हैं। अक्सर देखा गया है कि छोटे बच्चों को चुप कराने या व्यस्त रखने के लिए माता- पिता शुरूआत ही उन्हें मोबाइल या टीवी की आदत लगवा देते हैं। धीरे-धीरे से यही आदत लत बन जाती है, जिसे छुड़ाना फिर बेहद मुश्किल हो जाता है। यह समस्या सिर्फ अब हमारे घर तक सीमित नहीं है। हाल में नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी ही के अनुसार अधिक स्क्रीन टाइम बच्चों की सोशल और इमोशनल गोथ में बाधा बन सकता है। इससे मोटापा, नींद न आना, डिप्रेशन और एग्ज़ाइटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे बच्चे अक्सर गुस्सैल और जिद्दी भी हो जाते वहीं यूएस बेस्ड मेंटल हेल्थ रिसर्च हैं।
ऑगेर्नाइजेशन ह्यसेपियन लैब्सह के एक सर्वे के मुताबिक, जिन बच्चों को जल्दी स्मार्टफोन दे दिया जाता है, उनमें मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स का खतरा भी उतनी ही जल्दी बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चों के दिमाग में डोपामाइन नामक न्यूरो ट्रांसमीटर का लेवल बढ़ सकता है। इससे उन्हें ध्यान केंद्रित करने समस्या होती है। धीरे-धीरे प्रभावित करने लगती है और आदत उनकी याददाश्त को भी इसका सीधा असर उनकी पढ़ाई पड़ता है। इस तरह स्क्रीन टाइम बच्चों की फिजिकल और मेंटल में पर के ये हेल्थ पर गहरा असर डालता है। बच्चो में मोबाइल की लत छुड़ाने लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे जैसे मोबाइल फ्री जोन बनाएं: मोबाइल का उपयोग न हो।
स्क्रीन टाइम सीमित करेंः बच्चों के लिए एक समय निर्धारित करें और उसका सख्ती से पालन खुद भी करे और बच्चो को भी कराए। साथ ही बच्चों को खेल, कला, संगीत, या अन्य शौक में व्यस्त रखें। अभिभावकों को भी उदाहरण बन मोबाइल का उपयोग कम करना चाहिए और बच्चों के सामने एक अच्छा उदाहरण पेश बच्चो से संवाद स्थापित करे चिंताओं के बारे में बात करें। बच्चों से उनकी समस्याओं और जिससे कि बच्चे मोबाइल की लत छोड़ माता पिता से जुड़ाव महसूस । माता पिता के लिए कर कर सके मोबाइल की लत छुड़ाना एक चुनौती हो सकती है, लेकिन धैर्य और सही मार्गदर्शन से, बच्चों को इस लत से छुटकारा दिलाया जा सकता और बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को सही दिशा में ले जाया जा सकता है।

कोई टिप्पणी नहीं: