हरियाणा/हिसार (राजेश सलूजा)। दीपावली जैसे पावन पर्व को स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल ढंग से मनाने के उद्देश्य से ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल, उकलाना में शुक्रवार को विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर स्कूल के प्रिंसिपल भुवनेश भारद्वाज ने बच्चों को प्रदूषण-मुक्त दीपावली मनाने का प्रेरणादायक संदेश दिया और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक रहने की अपील की।
आतिशबाजी से दूर रहना ही सच्ची समझदारी
प्रिंसिपल भुवनेश भारद्वाज ने कहा कि दीपावली का असली अर्थ प्रकाश, सादगी और आनंद से जुड़ा है — न कि शोर और धुएं से।
उन्होंने कहा, “आतिशबाजी से न केवल बेजुबान पशु-पक्षी भयभीत होते हैं बल्कि छोटे बच्चे, बुजुर्ग और बीमार व्यक्ति भी इससे काफी प्रभावित होते हैं। आतिशबाजी से निकलने वाला धुआं वातावरण को प्रदूषित करता है और श्वसन रोगों का खतरा बढ़ाता है।”
उन्होंने आगे कहा कि हर वर्ष पटाखों की लापरवाही से देशभर में आगजनी और दुर्घटनाएँ होती हैं, जिनसे लाखों-करोड़ों रुपये की संपत्ति का नुकसान होता है।
प्रिंसिपल ने बच्चों से आह्वान किया —
“आइए, हम सब मिलकर संकल्प लें कि किसी भी त्यौहार पर आतिशबाजी नहीं चलाएँगे और अपने पर्यावरण को बचाएँगे!”
19 अक्टूबर को ‘दीपावली मेला’ का होगा भव्य आयोजन
स्कूल के चेयरमैन डॉ. सतीश भारती ने इस अवसर पर सभी बच्चों, शिक्षकों और अभिभावकों को धनतेरस और दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने बताया कि आगामी 19 अक्टूबर 2025 (रविवार) को स्कूल प्रांगण में हर वर्ष की भांति “दीपावली मेला” का आयोजन किया जाएगा।
इस मेले में छोटे-बड़े झूले, खान-पान की विविध स्टॉल, सिंगिंग, डांस, गेम्स और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भव्य आयोजन किया जाएगा।
डॉ. भारती ने कहा, “दीपावली हमारा दीपों का पर्व है — इसे आनंद और उत्साह से मनाना चाहिए, लेकिन प्रकृति को नुकसान पहुँचाए बिना।”
ग्रीन पटाखों का उपयोग: सुरक्षित और स्वच्छ विकल्प
चेयरमैन ने बच्चों को ‘ग्रीन पटाखों’ के उपयोग के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ये पटाखे पर्यावरण के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित होते हैं, क्योंकि इनमें बारूद की मात्रा सीमित होती है।
“ग्रीन पटाखे 110 से 125 डेसीबल तक ही आवाज करते हैं, इनसे धुआँ नहीं निकलता और इनमें डस्ट रिपेलेंट तत्व होते हैं, जो जलने के बाद आसपास की धूल को खींच लेते हैं।”
उन्होंने समझाया कि इस तरह के पटाखे नॉइस और एयर पॉल्यूशन दोनों को कम करते हैं और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम हैं।
स्वदेशी उत्पादों के उपयोग का संदेश
डॉ. भारती ने सभी छात्रों और अभिभावकों से आग्रह किया कि दीपावली पर स्वदेशी उत्पादों का ही प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि भारतीय वस्तुओं की खरीद से न केवल स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि “विकसित भारत” के सपने को साकार करने में भी योगदान होगा।
उन्होंने कहा — “जब हम स्वदेशी अपनाते हैं, तो हम अपने देश की आत्मनिर्भरता को मजबूत बनाते हैं।”
छात्रों ने लिया प्रदूषण-मुक्त दीपावली का संकल्प
कार्यक्रम के अंत में स्कूल के समस्त बच्चों और स्टाफ सदस्यों ने सामूहिक रूप से शपथ ली कि वे इस बार प्रदूषण-मुक्त और पर्यावरण-सुरक्षित दीपावली मनाएंगे।
बच्चों ने वचन दिया कि वे न केवल खुद आतिशबाजी से दूर रहेंगे, बल्कि दूसरों को भी इसके दुष्प्रभावों से जागरूक करेंगे।
इस मौके पर शिक्षकों ने बच्चों को दीपावली के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में बताया तथा ‘प्रकाश से अंधकार मिटाने’ के इस पर्व को सादगी, स्नेह और पर्यावरण प्रेम के साथ मनाने की प्रेरणा दी।
 
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6:21:00 pm
 
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