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उत्साह के साथ किए गए कार्य ही होते हैं सफल

हिसार से विशेष संवाददाता – राजेश सलूजा


जीवन में सफलता का मूलमंत्र क्या है? यह प्रश्न हर व्यक्ति के मन में कभी न कभी अवश्य उठता है। इसका उत्तर बहुत सरल है – उत्साह। यदि व्यक्ति के भीतर अपने कार्य के प्रति जोश, उमंग और निष्ठा है, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं रहता। लेकिन यदि मन में शिथिलता, निराशा और उदासीनता घर कर जाए, तो सफलता की राह कठिन हो जाती है।

उत्साह का अभाव ही असफलता का कारण

हम अपने चारों ओर ऐसे अनेक लोगों को देखते हैं, जो मेहनत तो करते हैं, लेकिन उनके कार्यों में ऊर्जा और समर्पण का भाव नहीं होता। परिणामस्वरूप, वे बार-बार असफलता का सामना करते हैं। असफलता धीरे-धीरे उनके आत्मविश्वास को खोखला कर देती है, और मन में निराशा, भय व शोक के भाव जन्म लेते हैं। यही भाव उनके जीवन की प्रगति में सबसे बड़ा अवरोध बन जाते हैं।

सफलता पाने के लिए केवल बुद्धि, ज्ञान या संसाधन पर्याप्त नहीं होते — उत्साह ही वह चिंगारी है जो सबको जीवंत करती है।

हनुमान जी का जीवन – असीम उत्साह का प्रतीक

पौराणिक कथाओं में यदि किसी को उत्साह का मूर्त रूप कहा जाए, तो वह हैं भगवान हनुमान। जब प्रभु श्रीराम ने उन्हें सीता माता की खोज के लिए लंका भेजने का आदेश दिया, तब उन्होंने बिना किसी भय या संदेह के समुद्र पार कर लिया। असंभव प्रतीत होने वाला कार्य उनके लिए संभव हुआ — क्योंकि उनके भीतर आत्मविश्वास, निष्ठा और उत्साह का सागर उमड़ रहा था।

हनुमान जी ने न केवल सीता माता को ढूंढ निकाला, बल्कि लंका में अपने पराक्रम का परिचय भी दिया। उन्होंने समर्पण और जोश का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया, जो सदियों से प्रेरणा का स्रोत है। भगवान श्रीराम ने भी हनुमान जी के इसी उत्साह, निष्ठा और विनम्रता की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसा सेवक संसार में दुर्लभ है।

उत्साह ही है सफलता की कुंजी

उत्साह मनुष्य के भीतर वह जीवनदायिनी ऊर्जा है, जो कठिन से कठिन कार्य को भी सहज बना देती है। जब मन में सकारात्मक विचार और उमंग होती है, तो शरीर स्वयं उस दिशा में सक्रिय हो जाता है। ऐसा व्यक्ति न तो परिस्थितियों से डरता है, न ही असफलताओं से। उसके लिए हर चुनौती एक अवसर होती है।

वहीं, जो व्यक्ति उत्साहहीन होकर केवल औपचारिकता निभाता है, उसका कार्य अधूरा रह जाता है। वह लक्ष्य तो तय करता है, परंतु ऊर्जा के अभाव में बीच राह में ही ठहर जाता है।

प्रेरक उदाहरणों से सीख

इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण हैं — चाहे वह महात्मा गांधी का स्वतंत्रता संग्राम के प्रति अटूट समर्पण हो, स्वामी विवेकानंद का युवाओं में जोश भरने वाला आत्मविश्वास, या डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का कठिन परिस्थितियों में भी सपनों को साकार करने का उत्साह — हर महान व्यक्तित्व के जीवन में यह एक समान तत्व रहा है कि उन्होंने उत्साह को कभी मरने नहीं दिया।

जीवन का संदेश

जीवन के हर क्षेत्र में, चाहे वह शिक्षा हो, व्यवसाय, सेवा या समाजसेवा — सफलता उन्हीं को मिलती है, जो अपने कार्यों को पूरे दिल से करते हैं। उत्साह, समर्पण और सकारात्मक सोच व्यक्ति को आगे बढ़ने की दिशा दिखाते हैं।

अतः यदि जीवन में प्रगति और सफलता चाहिए, तो अपने भीतर उत्साह का दीपक जलाए रखें।
क्योंकि—

“उत्साह वह शक्ति है जो असंभव को संभव बनाती है,
और निराशा वह छाया है जो उजाले को भी धुंधला कर देती है।”

इसलिए हर कार्य को पूरे जोश, विश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ करें — क्योंकि उत्साह के साथ किया गया हर कार्य ही सफल होता है।

उत्साह के साथ किए गए कार्य ही होते हैं सफल उत्साह के साथ किए गए कार्य ही होते हैं सफल Reviewed by PSA Live News on 10:49:00 pm Rating: 5

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