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रचनात्मकता, पर्यावरण और खुशियों का संगम : सीड और आदिम जाति सेवा मंडल द्वारा रांची में विशेष “ग्रीन दिवाली” उत्सव का आयोजन

बच्चों ने दीया पेंटिंग, रंगोली और कला प्रदर्शनी से बिखेरी रचनात्मक रोशनी — कलाकार सबीर हुसैन ने किया मार्गदर्शन


रांची। दीपावली के अवसर पर जब पूरा देश रोशनी और उमंग से सराबोर है, वहीं रांची में सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) ने आदिम जाति सेवा मंडल के सहयोग से एक अनोखा और प्रेरक “प्री-दिवाली कार्यक्रम” आयोजित किया। यह आयोजन केवल उत्सव नहीं, बल्कि रचनात्मकता, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समावेश का जीवंत उदाहरण बन गया।

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आदिम जाति सेवा मंडल के बच्चों के जीवन में खुशियाँ, आत्मविश्वास और रंग भरना था, साथ ही उन्हें पर्यावरण के प्रति सजग नागरिक बनने की प्रेरणा देना। कार्यक्रम में दर्जनों बच्चों ने दीया पेंटिंग, रंगोली निर्माण और कला प्रदर्शनी जैसी गतिविधियों में बढ़-चढ़कर भाग लिया।

कला से जुड़ा रचनात्मक उत्सव : सबीर हुसैन ने किया नेतृत्व

कार्यक्रम की सबसे आकर्षक कड़ी रही प्रसिद्ध कलाकार सबीर हुसैन द्वारा संचालित जीवंत कला कार्यशाला।
Limca Book of Records में दो बार अपना नाम दर्ज करा चुके सबीर हुसैन ने अपने स्वयंसेवी विद्यार्थियों के साथ बच्चों को दीया पेंटिंग, रंगोली डिज़ाइन और पर्यावरणीय कला सृजन की बारीकियों से परिचित कराया। उनके निर्देशन में बच्चों ने मिट्टी के दीयों पर रंगों की नई दुनिया रच दी — कहीं परंपरागत आकृतियाँ उभरीं तो कहीं आधुनिक कला की छटा बिखरी।

कलाकार सबीर हुसैन ने कहा —

“कला जोड़ने, प्रेरित करने और भावनाओं को व्यक्त करने की शक्ति रखती है। बच्चों को इतने उत्साह और आत्मविश्वास से सृजन करते देखना ही दिवाली का सच्चा अर्थ है — रोशनी, रचनात्मकता और उम्मीद फैलाना।”

बच्चों के चेहरों पर खुशी और गर्व का भाव स्पष्ट झलक रहा था। उनके रंगों में केवल त्यौहार की चमक नहीं, बल्कि आत्म-अभिव्यक्ति और सृजनशीलता की नई ऊर्जा थी।

“ग्रीन दिवाली” पर संवाद : पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की सीख

सीड की टीम ने इस अवसर पर “ग्रीन दिवाली” विषय पर एक संवादात्मक सत्र भी आयोजित किया। इसमें बच्चों के साथ चर्चा की गई कि कैसे वे त्योहार मनाते हुए पर्यावरण का भी ध्यान रख सकते हैं — जैसे इको-फ्रेंडली सजावट, मिट्टी के दीयों का उपयोग, कागज के लैंप बनाना, और पटाखों के सीमित उपयोग जैसी बातें साझा की गईं।

सत्र का उद्देश्य यह बताना था कि उत्सव की खुशी तब और बढ़ जाती है जब वह धरती और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील हो।

सीड के सीईओ रमापति कुमार ने कहा —

“त्योहार केवल आनंद के नहीं, बल्कि चिंतन के भी क्षण होते हैं। इस पहल के माध्यम से हम यह संदेश देना चाहते हैं कि उत्सव और सतत जीवनशैली साथ-साथ चल सकते हैं। यही भविष्य की सच्ची दिशा है।”

उन्होंने आगे कहा कि सीड का प्रयास है कि समाज के हर वर्ग, विशेषकर बच्चों, में पर्यावरण के प्रति प्रेम और जिम्मेदारी की भावना विकसित की जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ एक स्वच्छ, हरित और संतुलित धरती पर जीवन जी सकें।

बच्चों की कला बनी आकर्षण का केंद्र

कार्यक्रम का समापन बच्चों की रंगीन कला प्रदर्शनी के साथ हुआ, जिसमें उनके द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स, रंगोली डिज़ाइन और सजाए गए दीये प्रदर्शित किए गए। बच्चों ने अपने हाथों से बने दीयों से परिसर को जगमगाया और “ग्रीन दीपावली” का संदेश सबको दिया।

आदिम जाति सेवा मंडल के संचालक गोपीनाथ सिंह मुंडा ने कहा —

“हम सीड और कलाकारों के आभारी हैं जिन्होंने हमारे बच्चों के लिए यह खुशी भरा पल बनाया। ऐसे आयोजन न केवल उन्हें सम्मान और प्यार का एहसास कराते हैं, बल्कि पर्यावरण और समाज की जिम्मेदारी भी सिखाते हैं।”

उन्होंने कहा कि हाशिए पर रहने वाले समुदायों के बच्चों के लिए यह अवसर सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि आत्मविश्वास जगाने वाला अनुभव था।

सामुदायिक साझेदारी और सामाजिक चेतना का उदाहरण

यह आयोजन सीड की उस व्यापक सोच को दर्शाता है जिसमें पर्यावरणीय जागरूकता को सामाजिक समावेश और सांस्कृतिक परंपराओं से जोड़ा गया है। संस्थान का मानना है कि समाज में सकारात्मक बदलाव तभी संभव है जब पर्यावरणीय जिम्मेदारी जन-आंदोलन का रूप ले।

कार्यक्रम में स्थानीय स्वयंसेवकों, शिक्षकों, कलाकारों और समुदाय के सदस्यों की सक्रिय भागीदारी रही। सबने मिलकर दीपों की रोशनी में यह संकल्प लिया कि “हर घर, हर दिल में ग्रीन और आनंदमयी दीपावली का संदेश फैलाया जाएगा।”

रचनात्मकता, पर्यावरण और खुशियों का संगम : सीड और आदिम जाति सेवा मंडल द्वारा रांची में विशेष “ग्रीन दिवाली” उत्सव का आयोजन रचनात्मकता, पर्यावरण और खुशियों का संगम : सीड और आदिम जाति सेवा मंडल द्वारा रांची में विशेष “ग्रीन दिवाली” उत्सव का आयोजन Reviewed by PSA Live News on 5:44:00 pm Rating: 5

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