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हाईकोर्ट सख्त : “एक सप्ताह में हटाएं अवैध कब्जाधारी” — रांची नगर निगम को झारखंड हाईकोर्ट का निर्देश

मधुकम खादगढ़ा और रूगड़ीगाढ़ा के सरकारी फ्लैटों पर कब्जे के मामले में स्वतः संज्ञान, कोर्ट ने जताई नाराज़गी


रांची, PSA Live News Desk :

झारखंड उच्च न्यायालय ने रांची नगर निगम को सख्त निर्देश दिया है कि मधुकम खादगढ़ा और रूगड़ीगाढ़ा क्षेत्र में शहरी गरीबों के लिए बनाए गए सरकारी फ्लैटों पर कब्जा जमाए बैठे सभी अवैध कब्जाधारियों को एक सप्ताह के भीतर हटाया जाए।

न्यायालय ने यह आदेश स्वतः संज्ञान (Suo Motu Cognizance) से दर्ज मामले की सुनवाई के दौरान दिया।

मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने रांची नगर निगम के कार्यप्रणाली पर गहरी नाराज़गी व्यक्त करते हुए कहा कि —

“यह कब्जा एक या दो दिन में नहीं हुआ होगा। यह वर्षों से चल रहा मामला है, फिर सरकारी मशीनरी अब तक चुप क्यों रही? जब अवैध कब्जा लंबे समय से था तो समय रहते कार्रवाई क्यों नहीं की गई?”

हाईकोर्ट ने कहा — शहरी गरीबों के हक़ पर डाका, प्रशासन की लापरवाही स्पष्ट

कोर्ट ने टिप्पणी की कि शहरी गरीबों और कमजोर वर्ग के लोगों के लिए राज्य सरकार द्वारा बनाए गए ये फ्लैट सामाजिक न्याय की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। लेकिन अगर इन पर अवैध कब्जा कर लिया गया है, तो यह न केवल सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण है बल्कि गरीबों के अधिकारों का हनन भी है।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस प्रकार की लापरवाही प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है और जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका पर भी गंभीर संदेह उत्पन्न करती है।

रांची नगर निगम को एक सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने का आदेश

हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि रांची नगर निगम एक सप्ताह के भीतर सभी अवैध कब्जाधारियों को हटाकर उसकी कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करे।
कोर्ट ने यह भी कहा कि कार्रवाई के दौरान यदि किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न होती है, तो जिला प्रशासन और पुलिस विभाग आवश्यक सहयोग सुनिश्चित करें।

अगली सुनवाई मंगलवार को

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख अगले मंगलवार निर्धारित की है।
उस दिन रांची नगर निगम को यह बताना होगा कि कितने फ्लैटों पर अवैध कब्जा था, कितनों को हटाया गया और कितने कब्जे अब भी बाकी हैं।

कोर्ट ने जताई नाराज़गी — “सालों से चल रही अव्यवस्था पर अब सख्त कार्रवाई जरूरी”

सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि इन सरकारी आवासों का उद्देश्य गरीबों को सम्मानजनक जीवन देना था, लेकिन वर्षों से इन्हें निजी कब्जे में बदल दिया गया है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि यह स्थिति तभी उत्पन्न होती है जब जिम्मेदार अधिकारी अपनी ड्यूटी नहीं निभाते या जानबूझकर आंख मूंद लेते हैं।

गरीबों के लिए बने थे ये फ्लैट, अब कब्जाधारी कर रहे उपयोग

मधुकम खादगढ़ा और रूगड़ीगाढ़ा क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा शहरी गरीबों और झुग्गी बस्तियों में रहने वाले परिवारों के पुनर्वास हेतु बहुमंजिला फ्लैट बनाए गए थे।
इनका उद्देश्य झुग्गी उन्मूलन कर बेघर परिवारों को स्थायी और सुरक्षित आवास उपलब्ध कराना था।

लेकिन अब स्थिति यह है कि अधिकांश फ्लैटों पर बाहरी लोगों ने कब्जा कर लिया है, कुछ को किराए पर दे दिया गया है, और कई जगह अवैध रूप से व्यावसायिक गतिविधियाँ भी चल रही हैं।

इस पूरे मामले पर न केवल गरीब परिवारों की नाराज़गी बढ़ रही है, बल्कि सरकार की योजनाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठने लगे हैं।

न्यायालय की चेतावनी — “यदि आदेश की अवहेलना हुई तो जिम्मेदार अधिकारी होंगे जवाबदेह”

मुख्य न्यायाधीश चौहान की पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया कि यदि नगर निगम समय पर कार्रवाई करने में विफल रहता है, तो अवमानना (Contempt of Court) की कार्यवाही की जाएगी और संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से जवाब देना होगा।

 अब नगर निगम की परीक्षा

अब देखना यह होगा कि रांची नगर निगम एक सप्ताह में कितनी तेजी से कार्रवाई करता है।
कोर्ट की निगरानी में यह मामला न केवल रांची नगर प्रशासन की कार्यशैली की परीक्षा बनेगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि गरीबों के नाम पर बनी योजनाओं को कैसे ईमानदारी से लागू किया जाए।

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