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विश्व दिव्यांग दिवस 3 दिसंबर को

 यदि सुविधाएं सुगम हो और वातावरण अनुकूल, तो कोई भी व्यक्ति दिव्यांग नहीं, बल्कि दिव्य बन सकता है: संजय सर्राफ


इंडिया पैरालंपिक कमिटी ऑफ झारखंड के पूर्व मीडिया को- ऑर्डिनेटर सह झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन के प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि विश्व दिव्यांग विकलांगता दिवस हर वर्ष 3 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य समाज में विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों, उनके लिए अवसरों और सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देना है। इस दिवस की शुरूआत 1992 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के प्रति समाज का दृष्टिकोण बदलना और उन्हें समान अवसर प्रदान करना है, ताकि वे अपनी पूरी क्षमता के साथ जीवन जी सकें।विकलांगता सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक और संवेदनात्मक भी हो सकती है। विकलांगता का सामना करने वाले लोग किसी भी उम्र के हो सकते हैं और उनकी चुनौतियां अलग-अलग हो सकती हैं। यह दिन इस बात को रेखांकित करता है कि विकलांगता के बावजूद एक व्यक्ति समाज में समान रूप से कार्य कर सकता है यदि उसे सही समर्थन और अवसर मिलें। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों को जागरूक करना है कि वे किसी भी प्रकार के भेदभाव का सामना किए बिना समाज में पूरी तरह से भागीदार बन सकते हैं। इसके तहत कई प्रकार की गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, जैसे कि कार्यक्रम, संगोष्ठियाँ,कार्यशालाएँ और विभिन्न अभियानों का आयोजन किया जाता है, जिससे समाज में विकलांगता के प्रति जागरूकता बढ़ सके। इस दिन का महत्व इस बात में है कि यह पूरी दुनिया को याद दिलाता है कि यदि सुविधाएं सुगम हो और वातावरण अनुकूल, तो कोई भी व्यक्ति दिव्यांग नहीं बल्कि दिव्य बन सकता है। भारत में दिव्यांग शब्द का उपयोग सम्मान पूर्वक किया जाता है जो उनकी विशेष क्षमताओं का प्रतीक है सरकार द्वारा 'दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016' 'सुगम्य भारत अभियान' विशेष शिक्षा योजनाएं, रोजगार प्रोत्साहन और कौशल विकास कार्यक्रम जैसे अनेक कदम समाज को अधिक समावेशी दिशा में ले जा रहे हैं। दिव्यंगता के बावजूद इन व्यक्तियों ने विभिन्न क्षेत्रों में अपार सफलता प्राप्त की है। चाहे वह खेल, कला, विज्ञान या अन्य कोई क्षेत्र हो, इन व्यक्तियों ने अपनी मेहनत,साहस और आत्मविश्वास के साथ समाज में अपनी पहचान बनाई है। खेलों में शानदार प्रदर्शन करने वाले व्यक्ति विकलांगता के बावजूद युवाओं के प्रेरणा का स्रोत बने हैं। समाज में विकलांगता के प्रति बदलाव लाने के लिए कई सरकारें और गैर-सरकारी संगठन काम कर रहे हैं। उनका लक्ष्य दिव्यांग व्यक्तियों के लिए न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और भावनात्मक समर्थन भी प्रदान करना है। इसके अलावा सरकारी योजनाएं जैसे कि समावेशी शिक्षा, पैरा-स्पोर्ट्स और उद्यमिता के अवसर दिव्यांग व्यक्तियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रभावी कदम हैं। समाज में समावेशिता को दिशा में कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों का सम्मान करना और उन्हें समान अवसर देना है ताकि वे जीवन के सभी पहलुओं में सक्रिय रूप से भाग ले सकें। विकलांगता का सामना करने वाले लोग हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा हैं। हमें उनकी कड़ी मेहनत, साहस और संघर्ष का सम्मान करना चाहिए और समाज में उनके लिए अवसरों को सुलभ बनाना चाहिए। 3 दिसंबर को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय विकलांगता दिवस हमें प्रेरित करता है कि हम दिव्यांगजन व्यक्तियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं और उन्हें समान अधिकार और सम्मान प्रदान करें।

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