टिकटों की कालाबाजारी में तीन गिरफ्तार, दो पदाधिकारी भी चिह्नित, मीडिया पास तक बेचे जाने का खुलासा – अर्जुन मुंडा ने भी उठाया मुद्दा।
अशोक कुमार झा।
रांची। रांची में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच से पहले मैच टिकटों की कालाबाजारी ने एक बार फिर जेएससीए और उसके आंतरिक तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। धुर्वा पुलिस ने टिकट ब्लैकिंग में शामिल तीन लोगों को गिरफ्तार कर कार्रवाई तो शुरू कर दी, लेकिन असली सवाल यह है कि ये टिकट बाहर आए कैसे? और कौन है वह अंदरूनी तंत्र जो इस पूरे खेल को संरक्षण दे रहा है?
पुलिस की कार्रवाई से इतना तो स्पष्ट है कि बाहरी स्तर पर पकड़े गए लोग सिर्फ मोहरे हैं। असली खेल जेएससीए के अंदर ही रचा-बसा है, जहां से टिकट और मीडिया पास तक अवैध रूप से बाहर पहुंचाए गए। लेकिन इन बड़े नामों पर अब तक कोई सीधी कार्रवाई नहीं हुई है।
अर्जुन मुंडा ने भी उठाया सवाल – “टिकट किसके निर्देश पर बंटे?”
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने भी सोशल मीडिया पर टिकट वितरण और ब्लैकिंग पर गंभीर सवाल उठाए थे। उन्होंने पूछा था कि आखिर टिकटों का वितरण किस आधार पर हुआ और किसके इशारे पर मनमानी की गई?
सोशल मीडिया पर भी कई वीडियो और पोस्ट वायरल हैं, जिनमें दर्शक आरोप लगा रहे हैं कि आम लोगों को टिकट नहीं मिले, लेकिन बाहर ब्लैक में धड़ल्ले से बेचे जा रहे थे।
मीडिया पास तक बेचे गए! दो पदाधिकारी चिह्नित
सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह है कि मीडिया पास, जो प्रेस कवरेज के लिए जारी किए जाते हैं, वे भी असली धारकों तक नहीं पहुंचे। प्रेस जगत ने इसकी पुष्टि करते हुए दो विशेष पदाधिकारियों पर आरोप लगाए हैं—
1. जयकुमार सिन्हा (पूर्व क्रिकेट कोच)
मीडिया के कई प्रतिनिधियों ने बताया कि पास के आवंटन की अंतिम जिम्मेदारी जयकुमार सिन्हा पर थी और कई पास उन तक पहुंचे ही नहीं जिन्हें दिए जाने थे। इस बीच ऐसे संकेत मिले हैं कि कुछ पास बेच दिए गए।
2. संजय पांडेय
जेएससीए के भीतर यह चर्चा है कि मीडिया पास कहां और कितने जारी होंगे, इसका नियंत्रण संजय पांडेय के हाथ में था। आरोप है कि इन पासों को भी बेतरतीब तरीके से बांटा गया और कई पास गलत हाथों में पहुंचे।
दोनों के नाम सामने आने के बाद भी जेएससीए की ओर से कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं किया गया है।
धुर्वा पुलिस की बड़ी कार्रवाई – तीन गिरफ्तार, 13 टिकट बरामद
एक खास सूचना के आधार पर धुर्वा थाना प्रभारी विमल किंडो की टीम ने छापेमारी कर तीन आरोपियों को पकड़ा। पुलिस ने इनसे—
- ₹1200, ₹1600 और ₹1700 श्रेणी के कुल 13 टिकट
- कई मोबाइल फोन
- ब्लैक में बिक्री के साक्ष्य
बरामद किये हैं। पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया कि वे गिरोह के रूप में काम करते थे और टिकट पाने के लिए टिकट काउंटरों पर मजदूरों व सहायकों को रिश्वत देते थे। बाद में वही टिकट दोगुने-तिगुने दामों पर बेचते थे।
गिरोह बड़ा, अभी कई नाम सामने आने बाकी – 10 से अधिक पर FIR
गिरफ्तार तीनों की जानकारी के आधार पर पुलिस ने 10 से अधिक लोगों पर एफआईआर दर्ज की है, जिनमें शामिल हैं—
- विशाल चिक्की
- जितेंद्र जायसवाल
- अमित टोबो
- संतोष कुमार
- ऋतिक सिंह
- मनीष कुमार
- सुमित
और अन्य अज्ञात व्यक्ति।
पुलिस अब इनके नेटवर्क और जेएससीए के अंदर तक लिंक तलाश रही है।
स्टेडियम के आसपास ब्लैकिंग चरम पर – चेतावनी के बावजूद बेबस पुलिस
मैच से पहले ही प्रशासन ने चेतावनी दी थी कि टिकटों की ब्लैकिंग की शिकायत मिलने पर कड़ी कार्रवाई होगी। इसके बावजूद—
- जेएससीए स्टेडियम परिसर
- धुर्वा चौक
- सेक्टर-2 मार्केट
- बिर्सा चौक
के आसपास एक-एक टिकट दोगुने-तिगुने दाम पर बिकते रहे। कई दर्शकों ने बताया कि काउंटर पर टिकट नहीं मिले, लेकिन बाहर खुलेआम दलाल टिकट बेच रहे थे।
सबसे बड़ा सवाल – टिकट बाहर आए कैसे?
पुलिस बाहरी आरोपियों पर कार्रवाई कर रही है, लेकिन टिकटों का स्रोत अब भी अनछुआ है। स्पष्ट है कि—
- जेएससीए के किसी सदस्य या पदाधिकारी ने ही बड़ी संख्या में टिकट बाहर पहुंचाए
- बिना आंतरिक मिलीभगत के यह खेल संभव नहीं
- मीडिया पास की चोरी/वितरण में सीधे नाम सामने आ चुके हैं
- फिर भी किसी बड़े अधिकारी पर कार्रवाई नहीं
जब तक पुलिस अंदर बैठे असली चोरों तक नहीं पहुँचती, कार्रवाई अधूरी ही मानी जाएगी।
जेएससीए की चुप्पी सबसे बड़ा सवाल
इस मामले पर जेएससीए की ओर से—
- कोई आधिकारिक बयान नहीं
- पास वितरण पर कोई सफाई नहीं
- टिकट लीकेज पर कोई जांच समिति नहीं
यह चुप्पी संदेह को और गहरा कर देती है।
रांची में अंतर्राष्ट्रीय मैच के नाम पर टिकटों की जमकर लूट हुई है। कुछ छोटे दलालों की गिरफ्तारी से समस्या हल नहीं होने वाली।
जब तक जेएससीए के भीतर बैठे असली गुनहगारों पर कार्रवाई नहीं होगी— यह ब्लैकिंग का खेल हर मैच में दोहराया जाएगा।
Reviewed by PSA Live News
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9:59:00 am
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