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देशहित में एकजुट विपक्ष: ओवैसी और थरूर ने विदेशों में रखा भारत का पक्ष, अटल-इंदिरा की याद किया ताज़ा

 पहलगेाम हमले के बाद आतंकवाद पर भारत की सख्त नीति को विश्व पटल पर रखने विदेश भेजे गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने दिखाई दुर्लभ एकता, ओवैसी-थरूर ने विदेशी मंचों पर दी भारत की दृढ़ आवाज


विस्तृत रिपोर्ट

रिपोर्टर: विशेष संवाददाता, PSA Live News

नई दिल्ली/मनामा/न्यूयॉर्क – आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक नीति और 7 मई को हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद दुनिया को वास्तविकता से अवगत कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर केंद्र सरकार ने 7 अलग-अलग देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजा। इस प्रतिनिधिमंडल में जहां सत्ता पक्ष के वरिष्ठ सांसद शामिल थे, वहीं विपक्ष के कई प्रमुख चेहरों को भी इसमें शामिल किया गया।

इस डेलीगेशन की सबसे उल्लेखनीय बात रही—विपक्षी सांसदों द्वारा भारत के पक्ष को न सिर्फ प्रभावी रूप से रखना, बल्कि केंद्र सरकार की रणनीति का समर्थन भी करना। विदेशों में एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस नेता शशि थरूर ने जिस मजबूती से आतंकवाद के खिलाफ भारत की बात रखी, उसने न सिर्फ राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया, बल्कि इतिहास के उन पलों की याद दिला दी, जब विदेशों में अटल बिहारी वाजपेयी और इंदिरा गांधी ने मतभेद भुलाकर भारत की संप्रभुता और अखंडता की बात की थी।

विदेश नीति पर विपक्ष की परिपक्वता: इतिहास दोहराता है खुद को

1977 में जब अटल बिहारी वाजपेयी संयुक्त राष्ट्र महासभा में विदेश मंत्री के रूप में भारत का पक्ष रख रहे थे, तब एक पत्रकार के पूछने पर उन्होंने कहा था— "इंदिरा गांधी से मेरा विरोध देश में है, विदेश में नहीं।"
इसी तरह जब मोरारजी देसाई सरकार ने इंदिरा गांधी को एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भेजा था, तब उन्होंने कहा था— "जब बात राष्ट्रीय हित की होती है, तो इंदिरा गांधी महत्वपूर्ण नहीं रह जातीं, भारत महत्वपूर्ण हो जाता है।"

अब 2025 में एक बार फिर उसी परंपरा का पुनरावृत्ति हुआ, जब असदुद्दीन ओवैसी और शशि थरूर जैसे कड़े आलोचक भी सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर भारत की बात करते नजर आए।

ओवैसी ने बहरीन में दी आतंकवाद पर दो टूक चेतावनी

बहरीन में डेलीगेशन के सदस्य के रूप में गए एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने न केवल भारत का पक्ष मजबूती से रखा, बल्कि पाकिस्तान की खुलकर आलोचना की। उन्होंने कहा:

“हमारे राजनीतिक मतभेद हैं, लेकिन आतंकवाद जैसे राष्ट्रीय संकट पर हम एकजुट हैं। पाकिस्तान एक फेल्योर स्टेट है जो आतंकवाद को ट्रेनिंग, फंडिंग और समर्थन देता है। अब अगर उसने दुस्साहस किया, तो उसे परिणाम भुगतने पड़ेंगे।”

उन्होंने बहरीन सरकार से आग्रह किया कि वह पाकिस्तान को फिर से FATF की ग्रे लिस्ट में लाने में भारत की मदद करे। ओवैसी ने कहा कि आतंकवाद ने हिंदुस्तान की महिलाओं को विधवा बनाया है, परिवार उजाड़े हैं। अब और सहन नहीं किया जाएगा।

थरूर ने अमेरिका में रखा भारत का रणनीतिक दृष्टिकोण

कांग्रेस नेता और पूर्व राजनयिक शशि थरूर, अमेरिका में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में, 9/11 मेमोरियल गए और आतंकवाद के खिलाफ भारत की समान पीड़ा का उल्लेख किया। उन्होंने कहा:

“मैं सरकार का नहीं, विपक्ष का प्रतिनिधि हूं। लेकिन भारत सरकार ने जिस प्रकार पहलगाम हमले के बाद त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया, वह हमारी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अब भारत आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करेगा। सभी दल एकमत हैं।”

थरूर ने अमेरिका को संदेश दिया कि जैसे अमेरिका ने 9/11 के बाद एक स्वर में जवाब दिया, वैसे ही अब भारत भी उसी संकल्प के साथ खड़ा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ में की प्रतिनिधिमंडल की प्रशंसा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा:

“ऑपरेशन सिंदूर पर पूरा देश गर्व करता है। पहलगाम की घटना ने पूरे हिंदुस्तान को एक साथ खड़ा कर दिया है। देश अब एकजुट है और आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने को तैयार है।”

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत अब दुनिया को बता रहा है कि वह अबतक संयम से काम लेता रहा, लेकिन अब कोई और उकसावे की घटना हुई, तो जवाब बहुत कठोर होगा।

देशहित में विपक्ष-सत्तापक्ष की एकता: नई राजनीति की शुरुआत?

पहलगाम हमले और उसके जवाब में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने एक नए राजनीतिक युग की शुरुआत का संकेत दिया है, जहां आंतरिक राजनीतिक मतभेदों को परे रखकर राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दी जा रही है। आम जनता इस राष्ट्रीय एकजुटता से आश्वस्त और प्रेरित महसूस कर रही है।

इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि देश में भले ही लोकतांत्रिक बहसें और आलोचनाएं बनी रहें, लेकिन जब बात हिंदुस्तान की सुरक्षा, संप्रभुता और सम्मान की होती है, तो राजनीति नहीं, राष्ट्रनीति प्रमुख हो जाती है।

आज जब भारत आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक मोड़ पर खड़ा है, तब ओवैसी और थरूर जैसे नेता यह स्पष्ट कर रहे हैं कि राजनीति को राष्ट्रीय सुरक्षा के ऊपर नहीं रखा जा सकता। विदेशों में भारत की आवाज को इतना प्रबल और एकजुट देखना एक सकारात्मक संकेत है, जो बताता है कि हम न केवल युद्धभूमि पर, बल्कि कूटनीति के मोर्चे पर भी मजबूती से खड़े हैं।

देशहित में एकजुट विपक्ष: ओवैसी और थरूर ने विदेशों में रखा भारत का पक्ष, अटल-इंदिरा की याद किया ताज़ा देशहित में एकजुट विपक्ष: ओवैसी और थरूर ने विदेशों में रखा भारत का पक्ष, अटल-इंदिरा की याद किया ताज़ा Reviewed by PSA Live News on 6:40:00 pm Rating: 5

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