झालावाड़ के सरकारी स्कूल में बड़ा हादसा: छत गिरने से 7 मासूमों की मौत, 9 गंभीर रूप से घायल, लापरवाही पर उठे सवाल
स्थान: मनोहरथाना, झालावाड़ (राजस्थान) | तारीख: 25 जुलाई 2025
राजस्थान के झालावाड़ जिले से शुक्रवार को एक दर्दनाक हादसे की खबर सामने आई, जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। मनोहरथाना ब्लॉक के पिपलोदी गांव स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में शुक्रवार सुबह उस समय अफरा-तफरी मच गई जब कक्षा के दौरान अचानक स्कूल भवन की छत भरभराकर गिर गई। इस हादसे में अब तक 7 बच्चों की दर्दनाक मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 9 अन्य छात्र गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं। हादसे के समय कक्षा में कुल 35 छात्र उपस्थित थे, जो मलबे में दब गए थे।
हादसे का विवरण:
जानकारी के मुताबिक, यह हादसा सुबह करीब 9:45 बजे उस वक्त हुआ जब बच्चे अपनी पढ़ाई में लगे हुए थे। अचानक तेज आवाज के साथ कमरे की छत गिर पड़ी और पूरा मलबा मासूम बच्चों पर आ गिरा। चीख-पुकार के बीच स्थानीय ग्रामीण और स्कूल स्टाफ ने बचाव कार्य शुरू किया और तुरंत प्रशासन को सूचना दी गई।
बचाव अभियान:
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय प्रशासन, पुलिस बल, आपदा राहत दल (SDRF) और एंबुलेंस मौके पर पहुंची। मलबे में फंसे बच्चों को निकालने का कार्य युद्धस्तर पर शुरू हुआ। लगभग दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सभी बच्चों को बाहर निकाला गया, जिनमें 7 की मौके पर ही मौत हो चुकी थी। 9 गंभीर रूप से घायल बच्चों को पहले झालावाड़ जिला अस्पताल और फिर कुछ को कोटा मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है, जहां उनकी हालत चिंताजनक बनी हुई है।
मृतकों में अधिकांश पहली से पांचवीं कक्षा के छात्र:
मृत बच्चों की उम्र 6 से 12 वर्ष के बीच बताई जा रही है। इनमें अधिकांश पहली से पांचवीं कक्षा के छात्र थे। हादसे की सूचना मिलते ही परिजन बदहवासी की हालत में स्कूल पहुंचे और दृश्य अत्यंत हृदयविदारक बन गया।
प्रशासनिक कार्रवाई व मुख्यमंत्री का बयान:
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस हादसे को अत्यंत दुखद और शर्मनाक बताया है। उन्होंने मृतक बच्चों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये की सहायता राशि और घायलों को मुफ्त इलाज की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं और जिला कलेक्टर को तत्काल रिपोर्ट सौंपने को कहा है। साथ ही दोषियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
पुरानी इमारत, कई बार दी गई थी चेतावनी:
स्थानीय ग्रामीणों और अभिभावकों का कहना है कि पिपलोदी गांव के इस स्कूल की बिल्डिंग काफी पुरानी थी और कई जगहों से दरारें भी आ चुकी थीं। कई बार प्रशासन को इसकी जानकारी दी गई थी, लेकिन मरम्मत नहीं कराई गई। हादसे के बाद अब शिक्षा विभाग और पीडब्ल्यूडी की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
जनता में आक्रोश:
घटना के बाद गांव में गुस्सा व्याप्त है। ग्रामीणों ने स्कूल प्रशासन और सरकारी तंत्र की लापरवाही को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया है। कई सामाजिक संगठनों और अभिभावकों ने दोषियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की है।
यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की असंवेदनशीलता का नतीजा है
इस दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर सरकारी स्कूलों की जर्जर इमारतों की सच्चाई को सामने ला दिया है। सवाल उठता है कि आखिर कितनी और मासूम जिंदगियां कुर्बान होने के बाद सरकारी मशीनरी जागेगी? क्यों नहीं समय रहते भवनों की जांच और मरम्मत होती है? यह हादसा एक चेतावनी है कि शिक्षा के मंदिरों को उपेक्षा और लापरवाही का शिकार न बनने दिया जाए।

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