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आउटसोर्स कर्मियों को बोनस, वेतन और नियमितीकरण की मांग

 झारखंड ऊर्जा विकास श्रमिक संघ ने निगम प्रबंधन को दी चेतावनी, बोले- नहीं माना तो होगा ब्लैकआउट आंदोलन

रांची। झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (JUVNL) के अधीन कार्यरत लगभग 7000 मानव दिवस (Man-Days) आउटसोर्स कर्मियों की समस्याओं को लेकर राज्य में बड़ा श्रमिक आंदोलन खड़ा होने की स्थिति बन गई है। कर्मियों की उपेक्षा और शोषण से आक्रोशित झारखंड ऊर्जा विकास श्रमिक संघ ने निगम प्रबंधन को कड़ी चेतावनी दी है। संघ ने साफ कहा है कि यदि शीघ्र ही कर्मियों के बोनस भुगतान, बकाया वेतन निपटान और नियमितीकरण पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो पूरे राज्य में विद्युत आपूर्ति ठप कर ब्लैकआउट आंदोलन किया जाएगा।

संघ का आरोप: "रीढ़ की हड्डी" कर्मियों के साथ अन्याय

संघ के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि निगम का पूरा कामकाज इन आउटसोर्स कर्मियों के भरोसे चलता है। ये कर्मी 365 दिन, बिना अवकाश, चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति बनाए रखने में लगे रहते हैं। इसके बावजूद उन्हें न तो समय पर वेतन मिलता है और न ही बोनस।
उन्होंने बताया कि कई एरिया बोर्डों और डिवीजनों में महीनों से वेतन बकाया है, जिसके चलते हजारों कर्मियों के परिवार भुखमरी की कगार पर पहुँच चुके हैं।

संघ की प्रमुख मांगें

श्रमिक संघ ने निगम प्रबंधन और राज्य सरकार से अपनी 5 प्रमुख मांगें रखी हैं—

  1. सभी तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय रिक्त पदों (लगभग 80%) पर नियमित नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जाए।
  2. 2016 और 2018 की भांति कार्य अनुभव को प्राथमिकता देते हुए आयु सीमा में छूट प्रदान की जाए।
  3. 2014 के सर्वे फाइल के आधार पर 10 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत कर्मियों की सीधी नियुक्ति की जाए।
  4. अधिसूचना संख्या-625 (Destination Mapping) को निगम और तीनों अनुषंगी कंपनियों में समान रूप से लागू किया जाए।
  5. सभी आउटसोर्सिंग एजेंसियों को निर्देशित कर तत्काल बोनस भुगतान और बकाया वेतन का निपटारा सुनिश्चित किया जाए।

“अब सब्र की सीमा खत्म” – अजय राय

अजय राय ने कहा—

“अब यह स्थिति सहन-सीमा से बाहर हो चुकी है। निगम प्रबंधन यदि हमारी मांगों पर त्वरित कार्रवाई नहीं करता है, तो संघ आंदोलन के लिए बाध्य होगा। राज्यभर में बिजली ठप कर ब्लैकआउट आंदोलन चलाया जाएगा और इसकी पूरी जिम्मेदारी निगम प्रबंधन की होगी।”

मुख्यमंत्री और शीर्ष प्रबंधन को भेजा गया ज्ञापन

संघ की ओर से इस संबंध में एक विस्तृत ज्ञापन ईमेल के माध्यम से झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री, निगम के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक (CMD) और प्रबंध निदेशक (MD) को भेजा गया है। इसमें कर्मियों की समस्याओं, लंबित वेतन और नियमितीकरण की मांगों का विस्तार से उल्लेख किया गया है।

आंदोलन का असर – बिजली संकट की चेतावनी

झारखंड जैसे खनन और औद्योगिक राज्य में यदि बिजली आपूर्ति बाधित होती है, तो न केवल आम जनता प्रभावित होगी, बल्कि उद्योग, खदानें और अस्पताल जैसे संवेदनशील सेक्टर भी ठप हो सकते हैं। श्रमिक संघ की इस चेतावनी ने राज्य सरकार और निगम प्रबंधन की चिंता बढ़ा दी है।

संघ ने साफ कहा है कि यह आंदोलन कर्मचारियों की मजबूरी है, न कि उनकी इच्छा। यदि प्रबंधन संवेदनशीलता दिखाता है, तो स्थिति सामान्य रह सकती है, अन्यथा झारखंड एक गंभीर बिजली संकट का सामना करेगा।

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