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रांची में पहली बार राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी ‘लोक–2025’ का आयोजन: बच्चों ने बिखेरी प्रतिभा, सोहराई और पेटकार कला में दिखाया रंगों का कमाल

आंड्रे हाउस में फोकार्टोपिडिया फाउंडेशन की पहल को मिला अपार समर्थन, कलाप्रेमियों का उमड़ा जनसैलाब

रांची, संवाददाता। राजधानी रांची में कला और संस्कृति के रंग एक बार फिर पूरे शबाब पर हैं। फोकार्टोपिडिया फाउंडेशन द्वारा आंड्रे हाउस, रांची में पहली बार आयोजित राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी ‘लोक–2025’ ने शहर के कलाप्रेमियों, कलाकारों और विद्यार्थियों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है।
तीसरे दिन प्रदर्शनी स्थल पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। कला दीर्घा में एक ओर जहां नामचीन कलाकारों की उत्कृष्ट कृतियाँ प्रदर्शित की गईं, वहीं दूसरी ओर बच्चों की रचनात्मकता ने सबका मन मोह लिया।

बच्चों ने रंगों से रचा अद्भुत संसार

प्रदर्शनी के साथ ही फाउंडेशन ने लोक कला को लोकप्रिय बनाने और नई पीढ़ी को उसकी जड़ों से जोड़ने के उद्देश्य से दो दिवसीय कला कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में रांची और आसपास के विभिन्न विद्यालयों के 50 से अधिक बच्चों ने भाग लिया।
बच्चों ने रंगों और रेखाओं के माध्यम से अपनी कल्पनाओं को जीवंत किया। छोटे कलाकारों की रचनाओं में लोक जीवन, त्योहारों, प्रकृति और समाज की झलक देखने को मिली।

अनीता देवी ने सिखाई ‘सोहराई कला’ की बारीकियाँ

कार्यशाला की प्रशिक्षक अनीता देवी, जो झारखंड की पारंपरिक सोहराई कला की प्रसिद्ध कलाकार हैं, ने बच्चों को इस लोक कला की उत्पत्ति, शैली और प्रतीकों के अर्थ समझाए।
उन्होंने बताया कि सोहराई कला केवल चित्रकला नहीं, बल्कि प्रकृति और पशुपालन से जुड़ी जीवनशैली की अभिव्यक्ति है।
बच्चों ने मिट्टी और प्राकृतिक रंगों के मिश्रण से अपनी कलाकृतियाँ तैयार कीं और उन्हें कागज़ पर उकेरकर मनमोहक रंगों से सजाया।

विजय चित्रकार ने कराई ‘पटकर कला’ से मुलाकात

प्रसिद्ध लोक कलाकार विजय चित्रकार ने बच्चों को बिहार-झारखंड की ऐतिहासिक पटकर कला (पटचित्रकला) की विशेषताओं से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि यह कला चित्र, संगीत और कहानी — तीनों का संगम है।
बच्चों को इस परंपरागत कला के माध्यम से कथा कहने की तकनीक सिखाई गई।
प्रशिक्षण सत्र में बच्चों ने अपनी पसंद की लोककथाएँ चुनीं, उन्हें चित्रों में बदला और फिर आकर्षक रंगों से भरकर अपनी कल्पनाओं को आकार दिया।

‘लोक–2025’ में उमड़ा कलाप्रेमियों का सैलाब

प्रदर्शनी के तीसरे दिन शहरभर से कला प्रेमी, विद्यार्थी, अध्यापक और सांस्कृतिक संस्थानों से जुड़े लोग बड़ी संख्या में पहुंचे।
लोगों ने विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों की पेंटिंग, मूर्तियाँ और पारंपरिक कलाकृतियाँ देखीं। फाउंडेशन के सदस्यों ने बताया कि इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य लोककला को नई पीढ़ी तक पहुँचाना और कलाकारों को मंच देना है।

“लोककला हमारी जड़ों की पहचान है” — आयोजक

फोकार्टोपिडिया फाउंडेशन के संयोजकों ने कहा —

“यह प्रदर्शनी सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि लोक संस्कृति को पुनर्जीवित करने का प्रयास है। हम चाहते हैं कि नई पीढ़ी यह समझे कि कला केवल अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि अपनी पहचान और विरासत का प्रतीक है।”

कार्यशाला समापन पर मिलेगा सम्मान

दो दिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर पर ‘लोक–2025’ के अंतर्गत प्रतिभागी बच्चों को सर्टिफिकेट और प्रशंसा पत्र प्रदान किए जाएंगे।
इस दौरान उनके बनाए चित्र भी प्रदर्शनी में प्रदर्शित किए जाएंगे, जिससे उनके आत्मविश्वास को बल मिलेगा।

कला और संस्कृति को नई दिशा

यह पहली बार है जब झारखंड की राजधानी में फोकार्टोपिडिया फाउंडेशन ने इस स्तर की राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी आयोजित की है।
‘लोक–2025’ न केवल कलाकारों और बच्चों को एक साझा मंच दे रही है, बल्कि यह साबित कर रही है कि झारखंड की धरती पर कला, संस्कृति और परंपरा आज भी उतनी ही जीवंत है जितनी सदियों पहले थी।

रांची में पहली बार राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी ‘लोक–2025’ का आयोजन: बच्चों ने बिखेरी प्रतिभा, सोहराई और पेटकार कला में दिखाया रंगों का कमाल रांची में पहली बार राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी ‘लोक–2025’ का आयोजन: बच्चों ने बिखेरी प्रतिभा, सोहराई और पेटकार कला में दिखाया रंगों का कमाल Reviewed by PSA Live News on 8:13:00 pm Rating: 5

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