IITF 2025 में झारखंड की धूम: सिसल–जूट आधारित हरित अर्थव्यवस्था का मजबूत प्रदर्शन
सिसल से एथेनॉल तक: झारखंड ने दिखाया हरित नवाचार और ग्रामीण सशक्तीकरण का मॉडल
नई दिल्ली, 19 नवंबर: प्रगति मैदान में जारी 44वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले (IITF) 2025 में झारखंड पवेलियन इस वर्ष विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा स्थापित यह पवेलियन न सिर्फ राज्य की हरित अर्थव्यवस्था को नए आयाम देता दिख रहा है, बल्कि ग्रामीण विकास, प्राकृतिक फाइबर उद्योग और सतत उद्यमिता के सफल मॉडलों को राष्ट्रीय मंच पर मजबूती से प्रस्तुत कर रहा है।
सिसल (Agave) आधारित हरित क्रांति: बंजर धरती पर उपजी आर्थिक उम्मीद
झारखंड पवेलियन में सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र बना सिसल (एगेव) आधारित उत्पाद और तकनीक। कम पानी और प्रतिकूल मौसम में पनपने वाला यह पौधा राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया सहारा दे रहा है।
सिसल फाइबर से बन रहे हैं—
- रस्सियाँ
- मैट
- इको-फ्रेंडली बैग
- जियो-टेक्सटाइल
- घरेलू उपयोग की वस्तुएँ
साथ ही, सिसल के रस से बायो-एथेनॉल और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की संभावनाएँ झारखंड के हरित उद्यमिता मॉडल को और मजबूत बनाती हैं। एगेव का बंजर भूमि पर उगना इसे मृदा संरक्षण और जलवायु-स्थायी खेती का जरूरी हिस्सा बनाता है।
450 हेक्टेयर में सिसल खेती: ग्रामीणों के लिए स्थायी आजीविका का आधार
सिसल परियोजना की प्रगति पर जानकारी देते हुए अनितेश कुमार, SBO, बताते हैं:
“वर्तमान में 450 हेक्टेयर क्षेत्र में सिसल का रोपण पूरा किया जा चुका है। विभाग का लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष में इसे 100 हेक्टेयर और बढ़ाने का है। पिछले वर्ष 150 मीट्रिक टन उत्पादन दर्ज किया गया था, जबकि चालू वर्ष के लिए 82 मीट्रिक टन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।”
सिसल परियोजना के तहत हर वर्ष लगभग 90,000 मानव-दिवस का रोजगार उत्पन्न हो रहा है।
यह ग्रामीण परिवारों की आय बढ़ाने, महिलाओं की आर्थिक हिस्सेदारी को मजबूत करने और युवाओं के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
जूट की कारीगरी ने जीता दिल: कला–संस्कृति और आजीविका का उत्कृष्ट संगम
झारखंड पवेलियन में प्रदर्शित जूट उत्पाद आगंतुकों को राज्य की समृद्ध हस्तशिल्प परंपरा से रूबरू करा रहे हैं। स्थानीय कारीगरों द्वारा निर्मित—
- जूट बैग
- गृह सज्जा सामग्री
- हैंडमेल क्राफ्ट
- पर्यावरण-हितैषी उत्पाद
ये न केवल राज्य की कला-कौशल को प्रदर्शित कर रहे हैं, बल्कि सतत उत्पादों की बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करने का भी सामर्थ्य रखते हैं।
जूट आधारित हैंडलूम उत्पाद विशेषकर दिल्ली और अंतरराष्ट्रीय खरीदारों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।
हरित नवाचार और निवेश का मंच बना झारखंड पवेलियन
IITF 2025 में झारखंड का स्टॉल इस वर्ष निवेश, बाजार विस्तार और तकनीकी साझेदारी का बड़ा अवसर बनकर उभर रहा है।
पवेलियन में प्रदर्शित मॉडल यह दर्शाते हैं कि झारखंड—
- हरित उद्योग
- प्राकृतिक फाइबर आधारित उत्पाद
- जलवायु अनुकूल कृषि
- ग्रामीण उद्यमिता
- इको–फ्रेंडली उत्पादन पद्धतियों
के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग का उद्देश्य झारखंड को सिसल और जूट आधारित उद्योगों का राष्ट्रीय केंद्र बनाना है, ताकि ग्रामीण विकास, पर्यावरण संरक्षण और हरित उद्योग—इन तीनों का संतुलित मॉडल विकसित हो सके।
IITF में मिल रही सराहना: ‘जूट–सिसल मॉडल’ भविष्य की अर्थव्यवस्था का रास्ता
आगंतुक झारखंड पवेलियन की अवधारणा को ग्रामीण विकास, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और हरित उद्यमिता का संतुलित और दूरदर्शी मॉडल बता रहे हैं।
सिसल आधारित एथेनॉल उत्पादन की संभावना ने उद्योग प्रतिनिधियों और स्टार्टअप्स की विशेष रुचि आकर्षित की है।
IITF 2025 में झारखंड का यह प्रदर्शन स्पष्ट करता है कि राज्य हरित उद्योगों के क्षेत्र में राष्ट्रीय नेतृत्व की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
Reviewed by PSA Live News
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7:10:00 pm
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