साहित्य, विज्ञान और समाज के समन्वय की अद्भुत मिसाल बनी लेखिका सुशी सक्सेना की रचनाएँ
राँची/नई दिल्ली। बीती रात “किताबों की दुनिया में सुशी सक्सेना की पुस्तकों पर चर्चा” कार्यक्रम का भव्य और सफल आयोजन श्रीराम सेवा साहित्य संस्थान भारत के मंच पर संपन्न हुआ। इस ऑनलाइन-साहित्यिक संगोष्ठी में देशभर से साहित्य, कला और संस्कृति जगत से जुड़े अनेक विद्वान, लेखक, कवि और पाठक शामिल हुए।
कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थान की संस्थापिका दिव्यांजली वर्मा ने दीप प्रज्वलन एवं स्वागत संबोधन के साथ किया। उन्होंने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है और सुशी सक्सेना जैसी लेखिकाएँ अपने लेखन के माध्यम से उस दर्पण में यथार्थ के साथ संवेदना की चमक भी भरती हैं।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित लेखिका सुशी सक्सेना ने अपनी साहित्यिक यात्रा, लेखन प्रेरणा और पुस्तकों की विषयवस्तु पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि उनकी रचनाएँ समाज, विज्ञान और राजनीति के गहरे संबंधों की पड़ताल करती हैं। उनके लेखन में नारी जीवन की जटिलताएँ, सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया, वैज्ञानिक दृष्टिकोण की आवश्यकता और मानवीय संवेदनाओं की प्रखर अभिव्यक्ति प्रमुख रूप से दिखाई देती है।
कार्यक्रम के दौरान उनकी चर्चित पुस्तकों – “जीवन के पार”, “मन का रसायन”, “अंधेरे में उजाला” और “राजनीति के रंग” से चयनित अंशों का वाचन किया गया। श्रोताओं ने इन रचनाओं के भावनात्मक, सामाजिक और बौद्धिक आयामों पर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम में कई कविताओं का भी पाठ हुआ, जिनमें लेखिका की संवेदनशीलता और जीवन-दृष्टि झलकती रही।
विविध वक्ताओं ने सुशी सक्सेना की लेखनी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी भाषा सहज, प्रवाहमयी और विचारोत्तेजक है — जो हर वर्ग के पाठक के मन में सीधा संवाद स्थापित करती है। कई वक्ताओं ने कहा कि उनकी रचनाएँ केवल साहित्यिक नहीं, बल्कि चिंतनशील और प्रेरक भी हैं, जो आज के दौर के पाठकों को आत्ममंथन की दिशा देती हैं।
श्रोताओं ने कार्यक्रम के दौरान अत्यंत उत्साह के साथ अपनी प्रतिक्रियाएँ दीं और लेखिका से कई प्रश्न पूछे, जिनका उत्तर उन्होंने बड़े आत्मीयता और विस्तार से दिया।
कार्यक्रम के समापन पर दिव्यांजली वर्मा ने सभी उपस्थित महानुभावों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सुशी सक्सेना जैसी लेखिकाएँ नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि संस्थान भविष्य में भी ऐसे सारगर्भित साहित्यिक आयोजनों का सिलसिला जारी रखेगा ताकि हिंदी साहित्य की समृद्ध परंपरा नई ऊँचाइयों को प्राप्त कर सके।
यह आयोजन न केवल एक साहित्यिक संवाद का माध्यम बना, बल्कि यह भी सिद्ध कर गया कि सुशी सक्सेना की लेखनी आज के समय में भी उतनी ही प्रासंगिक और प्रभावशाली है, जितनी उनके लेखन के प्रारंभिक दिनों में थी। उनकी रचनाएँ पाठकों के मन में विचारों का नया संसार जगाने का सामर्थ्य रखती हैं।
(रिपोर्ट – PSA Live News / Ranchi Dastak)
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7:44:00 pm
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