राहुल गांधी के खिलाफ चाईबासा कोर्ट का बड़ा फैसला, 26 जून को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश, गैर-जमानती वारंट जारी
चाईबासा । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की कानूनी मुश्किलें बढ़ गई हैं। चाईबासा स्थित एमपी-एमएलए विशेष न्यायालय ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी करते हुए उन्हें आगामी 26 जून 2025 को निजी तौर पर अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।
यह मामला वर्ष 2018 में राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस अधिवेशन में दिए गए उस बयान से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने कथित रूप से कहा था कि “भाजपा में कोई भी हत्यारा अध्यक्ष बन सकता है, यह चोरों का गिरोह है।” इस बयान को लेकर भाजपा नेता प्रताप कुमार ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि की अर्जी दायर की थी।
मामला कैसे पहुंचा अदालत तक:
- 28 मार्च 2018 को नई दिल्ली में आयोजित ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) के अधिवेशन में राहुल गांधी ने यह विवादित भाषण दिया था।
- इस पर भाजपा नेता प्रताप कुमार ने 9 जुलाई 2018 को चाईबासा की सीजेएम अदालत में मानहानि का मामला दर्ज कराया।
- इस मामले को बाद में झारखंड हाईकोर्ट के निर्देशानुसार 20 फरवरी 2020 को रांची स्थित एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट स्थानांतरित किया गया, जहां से इसे चाईबासा के विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट भेजा गया।
कोर्ट में पेशी से बचने की कोशिश नाकाम:
राहुल गांधी की ओर से उनके वकील ने अदालत में पेशी से छूट के लिए अर्जी दाखिल की थी। लेकिन विशेष न्यायाधीश ने उस अर्जी को खारिज करते हुए गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया और उन्हें निश्चित रूप से 26 जून को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता केशव प्रसाद ने मीडिया को बताया कि यह मामला जनता को गुमराह करने और विपक्षी दल के नेताओं की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने की साजिश का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्रीय नेता द्वारा सार्वजनिक मंच से इस प्रकार के बयान देना न केवल अनुचित है बल्कि कानूनन दंडनीय भी है।
राजनीतिक गलियारों में हलचल:
इस फैसले के बाद झारखंड समेत राष्ट्रीय राजनीति में हलचल मच गई है। भाजपा नेताओं ने इस निर्णय को न्यायिक प्रक्रिया की जीत बताया, जबकि कांग्रेस खेमे में इस पर मंथन जारी है कि क्या राहुल गांधी व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होंगे या इस फैसले को चुनौती दी जाएगी।
अब सबकी निगाहें 26 जून की सुनवाई पर टिकी हैं, जब राहुल गांधी को चाईबासा की विशेष अदालत में उपस्थित होना होगा। अगर वे हाजिर नहीं होते हैं, तो यह मामला और गंभीर मोड़ ले सकता है।
यह प्रकरण बताता है कि सार्वजनिक जीवन में कही गई बातों का कानूनी और राजनीतिक दोनों स्तरों पर कितना गहरा असर हो सकता है।

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