डोरंडा की गलियों में गूंजेगा चेतावनी का स्वर— यह युद्ध नहीं, जागरूकता है।
विशेष रिपोर्ट | अशोक कुमार झा | प्रधान संपादक, PSA Live News व रांची दस्तक।
बदलती दुनिया, बदलती सुरक्षा रणनीति
21वीं सदी में युद्ध की परिभाषाएं बदल रही हैं। अब लड़ाई केवल सीमाओं पर नहीं होती — यह शहरों के भीतर, इंटरनेट की लहरों पर, अस्पतालों और बाजारों में भी लड़ी जाती है।
भारत जैसे विशाल और विविधता से भरे राष्ट्र के लिए यह आवश्यक हो गया है कि नागरिक सुरक्षा को केवल सरकारी जिम्मेदारी मानने के बजाय, उसे जनभागीदारी से जोड़कर सशक्त बनाया जाए।
7 मई, 2025 को पूरे भारत में एक ऐतिहासिक पहल होने जा रही है — राष्ट्रव्यापी नागरिक सुरक्षा अभ्यास, जिसमें रांची का डोरंडा क्षेत्र प्रमुख केंद्र बिंदु बना है। यह अभ्यास कोई साधारण सरकारी कवायद नहीं, बल्कि एक सामाजिक, रणनीतिक और मानसिक परिवर्तन की शुरुआत है।
मॉक ड्रिल क्या है और क्यों ज़रूरी है?
मॉक ड्रिल यानी पूर्व-अभ्यास उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें एक संभावित आपदा या हमले की स्थिति को कृत्रिम रूप से उत्पन्न कर, यह देखा जाता है कि आम जनता, प्रशासन, सेवाएं और संस्थान किस प्रकार प्रतिक्रिया देते हैं।
इसका मुख्य उद्देश्य है:
- नागरिकों को प्रशिक्षित करना कि संकट की घड़ी में क्या करना है
- आपातकालीन सेवाओं की प्रतिक्रिया समय और संचालन कुशलता को परखना
- सामुदायिक समन्वय और स्थानीय नेतृत्व की भूमिका का मूल्यांकन करना
- सामाजिक पैनिक को नियंत्रित रखने के उपाय खोजना
गृह मंत्रालय की नीति और राष्ट्रीय दृष्टिकोण
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि नागरिक सुरक्षा अब केवल कागज़ी दस्तावेजों और आपदा विभाग तक सीमित नहीं रहेगी। गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार, 7 मई को देश के प्रत्येक जिले में यह अभ्यास आयोजित किया जाएगा, जिसमें स्थानीय प्रशासन, शिक्षा संस्थान, RWA, औद्योगिक प्रतिष्ठान और स्वास्थ्य सेवा इकाइयों को सक्रिय भूमिका में लाया गया है।
यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा नागरिक सुरक्षा पूर्वाभ्यास होगा, जिसमें करोड़ों नागरिक एक साथ भाग लेंगे — न केवल देखकर, बल्कि करके सीखेंगे।
डोरंडा क्यों चुना गया?
रांची का डोरंडा इलाका झारखंड की राजधानी का हृदयस्थल है। यहां:
- आवासीय कॉलोनियाँ (AG कॉलोनी, रेलवे कॉलोनी)
- प्रमुख स्कूल (संत जोसेफ, केंद्रीय विद्यालय)
- प्रशासनिक भवन (आयकर कार्यालय, राज्य लेखा निदेशालय)
- वाणिज्यिक क्षेत्र (डोरंडा बाजार, एल्बर्ट एक्का चौक)
- धार्मिक स्थल और संवेदनशील स्थान भी शामिल हैं।
इस मिश्रण के कारण यह क्षेत्र अभ्यास के लिए आदर्श स्थल बनता है, जहां विभिन्न परिस्थितियों में नागरिक प्रतिक्रिया की यथार्थ जांच की जा सकती है।
मॉक ड्रिल के नौ चरण: विस्तृत कार्ययोजना
1. हवाई हमले की चेतावनी और आश्रय निर्देश
- दोपहर 4 बजे तेज सायरन बजेगा — यह हवाई खतरे की चेतावनी मानी जाएगी।
- सभी नागरिकों को तत्काल घरों में आश्रय लेना होगा।
- दरवाजे-खिड़कियां बंद, रोशनी बंद और “सब ठीक है” सायरन तक बाहर न निकलने की हिदायत।
- स्कूलों और कार्यालयों में विशेष बंकर-प्रोटोकॉल लागू किया जाएगा।
2. आत्म-सुरक्षा अभ्यास – ‘झुको, ढको, पकड़ो’
- बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को लाइव डेमोंस्ट्रेशन के माध्यम से यह सिखाया जाएगा कि अचानक धमाके या हमला होने पर कैसे अपनी जान बचाई जाए।
- स्कूलों में शिक्षक छात्रों को “Drop-Cover-Hold” तकनीक सिखाएंगे।
3. ब्लैकआउट ड्रिल – रौशनी का मौन
- 5:30 बजे से कुछ क्षेत्रों में विद्युत कटौती की जाएगी।
- नागरिकों को निर्देश है कि सभी बाहरी व आंतरिक लाइट बंद रखें।
- मोबाइल की रौशनी भी आवश्यकतानुसार ही प्रयोग हो।
- खिड़कियों पर मोटे पर्दे या कागज़ लगाए जाएं।
4. महत्वपूर्ण संस्थानों का छलावरण अभ्यास
- जलापूर्ति टंकी, BSNL टावर, बिजली स्टेशन पर छलावरण परत डाली जाएगी।
- आम नागरिकों से अनुरोध है कि वे इन कार्यों में हस्तक्षेप न करें, न ही कोई वीडियो/फोटो बनाएं।
5. निकासी अभ्यास (Evacuation Drill)
- चिन्हित कॉलोनियों और स्कूलों से नागरिकों को वैकल्पिक सुरक्षित क्षेत्रों तक ले जाया जाएगा।
- रिहर्सल के लिए नक्शा वितरण और रूट पथ चिन्हित किया गया है।
- लिफ्ट का प्रयोग वर्जित होगा। सीढ़ियों का ही उपयोग किया जाएगा।
6. गो-बैग वितरण और जागरूकता
- हर परिवार को गो-बैग में रखने योग्य वस्तुओं की सूची दी गई है।
- कुछ प्राथमिक किट पंचायत स्तर पर निःशुल्क वितरित किए जा रहे हैं।
7. आपातकालीन संपर्क नेटवर्क निर्माण
- हर वार्ड में एक 'आपदा समन्वयक' नियुक्त किया गया है।
- स्थानीय कंट्रोल रूम नंबर, पुलिस, हॉस्पिटल और RWA के नंबर साझा किए गए हैं।
- व्हाट्सएप ग्रुप, FM रेडियो, और टेलीग्राम चैनलों से सूचनाएं दी जाएंगी।
8. स्कूल, कॉलेज और कार्यालयों की भूमिका
- सभी संस्थानों को अभ्यास के दौरान छात्रों और कर्मचारियों के लिए अनिवार्य उपस्थिति सुनिश्चित करनी है।
- हर संस्थान में एक आपातकालीन टीम बनाई गई है जो अलार्म, एग्जिट और रेस्क्यू की जिम्मेदारी निभाएगी।
9. स्थानीय नागरिक स्वयंसेवकों का नामांकन
- डोरंडा क्षेत्र में अभी तक 213 स्वयंसेवकों ने प्रशिक्षण के लिए नाम लिखा है।
- इन्हें प्राथमिक चिकित्सा, अग्निशमन, भीड़ नियंत्रण और मनोवैज्ञानिक सहायता में प्रशिक्षित किया जा रहा है।
स्थानीय प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग का समन्वय
- DM व SSP रांची स्वयं पूरे कार्यक्रम की निगरानी करेंगे।
- सिविल डिफेंस विभाग, होमगार्ड, ITBP, NDRF और अग्निशमन विभाग संयुक्त रूप से तैनात रहेंगे।
- स्वास्थ्य विभाग ने RIMS और सदर अस्पताल में इमरजेंसी रेस्पॉन्स तैयार रखा है।
सामाजिक मनोविज्ञान और भविष्य की तैयारी
क्या मॉक ड्रिल लोगों को डराएगी या मजबूत बनाएगी?
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि यदि अभ्यास संगठित और पारदर्शी हो तो यह डर नहीं, बल्कि भरोसा पैदा करता है।
- बच्चे जब जानेंगे कि डर से कैसे लड़ना है, तो मानसिक रूप से अधिक सशक्त होंगे।
- बुजुर्ग जब जानेंगे कि उनके लिए समर्पित स्वयंसेवक मौजूद हैं, तो वे अकेलापन महसूस नहीं करेंगे।
क्या मॉक ड्रिल एक दिन का इवेंट है? नहीं — यह है एक आंदोलन की शुरुआत
सरकार की मंशा है कि इस अभ्यास को हर 6 महीने पर किया जाए, और इसे अंततः राष्ट्रीय नागरिक सुरक्षा अभ्यास मॉडल (NCSEM) के रूप में संस्थागत रूप दिया जाए।
भविष्य में रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे, मॉल, सिनेमाघर और स्टेडियम में भी नियमित मॉक ड्रिल अनिवार्य की जाएगी।
निष्कर्ष: जब नागरिक जागते हैं, तब राष्ट्र अजेय होता है
सुरक्षा केवल बंदूक या कैमरे से नहीं आती — समझदारी, सजगता और समन्वय से आती है।
7 मई को जब डोरंडा की सड़कों पर अभ्यास होगा, तो यह केवल एक सरकारी आदेश की अनुपालना नहीं होगी — यह भारत के नए सुरक्षा दर्शन की पहली झलक होगी।
“कभी किसी धमाके से पहले चेतावनी नहीं मिलती, लेकिन यदि हम पहले से तैयार हों, तो झटका कम जरूर लगेगा।”
“आज की सावधानी, कल की सुरक्षा है।”
(यह विशेष रिपोर्ट PSA Live News के प्रधान संपादक अशोक कुमार झा द्वारा तैयार की गई है। इसे समाचार, जन-जागरूकता और नीति चर्चाओं में संदर्भ के रूप में उपयोग किया जा सकता है।)

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