लोबिन महतो की अपमानजनक टिप्पणी के खिलाफ क्षत्रिय समाज का आक्रोश—राँची कोतवाली में दी गई शिकायत, गिरफ्तारी और पार्टी से निष्कासन की माँग
राँची । राजधानी राँची स्थित कोतवाली थाना आज क्षत्रिय समाज के आक्रोश का केंद्र बन गया जब झारखंड भर के विभिन्न क्षत्रिय संगठनों के प्रतिनिधियों ने वहाँ पहुँचकर आजसू पार्टी के नेता लोबिन चंद्र महतो के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की माँग की। हाल ही में श्री महतो द्वारा क्षत्रिय समाज पर की गई अपमानजनक और अमर्यादित टिप्पणी को लेकर पूरे क्षत्रिय समाज में गहरा रोष व्याप्त है। समाज के प्रतिनिधियों ने थाना प्रभारी को एक लिखित आवेदन सौंपा, जिसमें उन्होंने भारतीय संविधान की गरिमा और समाजिक सम्मान की रक्षा हेतु तत्काल कठोर न्यायिक कार्रवाई की माँग की।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यदि शीघ्र ही लोबिन चंद्र महतो की गिरफ्तारी नहीं की गई तो क्षत्रिय समाज चरणबद्ध आंदोलन के लिए बाध्य होगा, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन और सरकार की होगी। साथ ही, समाज के प्रतिनिधियों ने आजसू पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो से भी इस पूरे प्रकरण में हस्तक्षेप कर दोषी नेता को पार्टी से तत्काल बर्खास्त करते हुए आजीवन निष्कासित करने की माँग की। उनका कहना है कि ऐसी मानसिकता रखने वाले व्यक्ति को किसी भी राजनीतिक संगठन में स्थान नहीं दिया जाना चाहिए।
इस विरोध प्रदर्शन में झारखंड के विभिन्न जिलों से आए क्षत्रिय समाज के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व युवा क्षत्रिय नेता नंद किशोर सिंह चंदेल ने किया, जबकि उनके साथ मंच साझा कर समर्थन देने वालों में प्रो. (डॉ.) धीरज सिंह सूर्यवंशी, महावीर सिंह, धर्मेंद्र सिंह, दिलीप सिंह, मनोज सिंह, रवि सिंह, विकास सिंह, कृष्णा सिंह, शशिकांत सिंह, सयत सिंह, रत्नेश सिंह, बिपिन सिंह, टी. के. मुखर्जी, बैधनाथ सिंह, दिवाकर शाहदेव, गणेश सिंह, नीतीश सिंह, मुकेश सिंह, तिमिर कुमार सिंह, अभिषेक सिंह, सिंधु सिंह, भोला सिंह, अभिजीत सिंह, सूरज सिंह, संजीव सिंह, रणधीर कुमार सिंह, राकेश सिंह, राहुल तिवारी और थवेल सिंह सहित समाज के अनेक गणमान्य प्रतिनिधि उपस्थित थे।
वक्ताओं ने एक स्वर में चेतावनी दी कि यदि प्रशासन इस विषय को हल्के में लेता है या दोषी नेता के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती है, तो क्षत्रिय समाज सड़कों पर उतरकर लोकतांत्रिक और संवैधानिक तरीके से बड़ा आंदोलन करेगा। इस चेतावनी को देखते हुए प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह मामले की गंभीरता को समझते हुए शीघ्र निर्णय ले और समाज की भावनाओं का सम्मान करे।
यह घटना न केवल एक राजनीतिक दल के भीतर अनुशासन और मर्यादा का प्रश्न है, बल्कि यह पूरे झारखंड में सामाजिक सौहार्द और समरसता बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा भी है। अब यह देखना होगा कि आजसू पार्टी और राज्य सरकार इस प्रकरण पर किस प्रकार की कार्रवाई करती है।

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