सरस आजीविका मेले में झारखंड की महिलाओं की गूंज — 25 लाख से अधिक का कारोबार, पारंपरिक कला, आभूषण और व्यंजनों ने जीता दिल
नई दिल्ली। नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में 5 से 22 सितम्बर तक आयोजित “सरस आजीविका मेला” झारखंड की ग्रामीण महिलाओं के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ। आत्मनिर्भरता और उद्यमिता की मिसाल बन चुकी इन महिलाओं ने न केवल अपने हुनर का शानदार प्रदर्शन किया, बल्कि 25 लाख रुपये से अधिक का कारोबार कर पूरे राज्य का मान भी बढ़ाया।
इस अवसर पर झारखंड सरकार द्वारा प्रोत्साहित “पलाश” और “आदिवा” ब्रांड ने देशभर से आए आगंतुकों को अपनी ओर आकर्षित किया। मेले में झारखंड की पारंपरिक कला, व्यंजन और आभूषणों ने दिल्लीवासियों का दिल जीत लिया।
पलाश ब्रांड : आत्मनिर्भरता की नई पहचान
झारखंड की ग्रामीण महिलाओं का अपना ब्रांड “पलाश” इस मेले का मुख्य आकर्षण रहा।
- खाद्य उत्पादों में रागी लड्डू, शुद्ध शहद, अरहर दाल, काले गेहूँ का आटा और
- गैर-खाद्य उत्पादों में हर्बल साबुन, लेमन ग्रास ऑयल जैसे सामान दिल्ली के उपभोक्ताओं के बीच बेहद लोकप्रिय रहे।
पूरे मेले के दौरान पलाश ब्रांड ने 25 लाख रुपये से अधिक की बिक्री की। इन उत्पादों की खासियत यह रही कि वे पूरी तरह ग्रामीण महिलाओं के श्रम, परंपरा और नवाचार का संगम थे।
मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन और ग्रामीण विकास मंत्री श्रीमती दीपिका पाण्डेय सिंह ने ट्वीट कर पलाश की सफलता पर महिलाओं को बधाई दी और कहा कि यह उपलब्धि राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ी छलांग है।
गोड्डा की सोनी देवी बनीं प्रेरणा
गोड्डा जिले की सोनी देवी, जो सखी मंडल से जुड़कर तसर सिल्क की साड़ियाँ, सूट पीस और दुपट्टे तैयार करती हैं, पहली बार दिल्ली के सरस मेले में शामिल हुईं।
उनकी मेहनत और लगन ने रंग दिखाया और उन्होंने अकेले ही 3 लाख रुपये से अधिक का कारोबार किया। सोनी देवी का कहना था कि इस मेले ने उन्हें केवल बिक्री का अवसर ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों की महिलाओं से सीखने और अनुभव साझा करने का मंच भी दिया।
आदिवा ब्रांड : पारंपरिक आभूषणों की नई चमक
“आदिवा” ब्रांड, जिसकी शुरुआत 2021 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मार्गदर्शन में हुई थी, ने दिल्ली के उपभोक्ताओं के बीच गहरी छाप छोड़ी।
- स्टॉल पर 200 रुपये के झुमकों से लेकर 5-6 हजार रुपये तक के चाँदी के आभूषण उपलब्ध रहे।
- पारंपरिक डिजाइनों जैसे चाँदी की मंढली, झोंपा सीकरी, पछुवा, कंगना और डबल झुमका ने खास आकर्षण बटोरा।
दिल्ली के लोगों ने इन आभूषणों को न केवल खरीदा, बल्कि झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक के रूप में सराहा। आदिवा ने यह साबित किया कि पारंपरिक ज्वेलरी आज भी फैशन की दुनिया में आधुनिक आकर्षण का हिस्सा बन सकती है।
दिल्ली में हिट हुआ झारखंडी व्यंजन
झारखंडी सखी मंडल की महिलाओं द्वारा तैयार धूसका, दाल पीठा और घूग्नि दिल्लीवासियों के लिए नए स्वाद का अनुभव रहे।
- इन व्यंजनों ने तीन लाख रुपये से अधिक की बिक्री दर्ज की।
- पूरे मेले में इनकी लोकप्रियता इतनी रही कि अंतिम दिन झारखंड को लाइव फ़ूड श्रेणी में राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा पुरस्कार दिया गया।
ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पाण्डेय सिंह ने भी झारखंडी व्यंजनों का स्वाद चखा और महिलाओं के उत्साहवर्धन के लिए उन्हें बधाई दी।
पत्रकार दीदी : ग्रामीण महिला रिपोर्टर की अलग पहचान
इस आयोजन की एक अनूठी पहल रही “पत्रकार दीदी”। सरायकेला की सुनीता को ग्रामीण विकास मंत्रालय ने विशेष आमंत्रण दिया था।
उन्होंने पूरे मेले की रिपोर्टिंग की, सोशल मीडिया सामग्री तैयार की, और विभिन्न राज्यों से आई महिलाओं की कहानियों को राष्ट्रीय मंच तक पहुँचाया। उनकी यह भूमिका यह दर्शाती है कि ग्रामीण महिलाएँ अब केवल उत्पादन और बिक्री तक सीमित नहीं, बल्कि मीडिया और संवाद के क्षेत्र में भी अपनी अहम भागीदारी निभा रही हैं।
ग्रामीण महिलाओं का बढ़ता आत्मविश्वास
ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पाण्डेय सिंह ने मेले का दौरा करते हुए कहा—
“झारखंड की महिलाओं का हुनर काबिले तारीफ है। पलाश और आदिवा जैसे ब्रांड इन महिलाओं को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर कर रहे हैं। सरकार हर संभव सहयोग प्रदान करेगी ताकि यह कला और भी विकसित हो और राष्ट्रीय स्तर पर चमके।”
सरस आजीविका मेला केवल एक प्रदर्शन या बिक्री का अवसर नहीं रहा, बल्कि यह झारखंड की महिलाओं की आत्मनिर्भरता, उद्यमिता और सांस्कृतिक विरासत का राष्ट्रीय मंच बना।
चाहे पारंपरिक आभूषण हों, स्वादिष्ट व्यंजन हों या फिर हस्तनिर्मित उत्पाद—झारखंड की ग्रामीण महिलाओं ने यह संदेश दिया कि उनका हुनर केवल गाँव तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे देश और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुँचने की क्षमता रखता है।

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