हिसार/हरियाणा (राजेश सलूजा): नगर पालिका उकलाना की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। सिरसा-चंडीगढ़ रोड से लेकर राजकीय स्कूल उकलाना तक गली निर्माण कार्य के लिए नगर पालिका ने टेंडर जारी किया। लेकिन जब ठेकेदार की टीम ने निर्माण कार्य शुरू किया तो स्थानीय लोगों ने जमकर आपत्ति जताई। उनका कहना है कि जिस गली को तोड़ा जा रहा है, उसका निर्माण महज छह महीने पहले ही हुआ था और गली अभी पूरी तरह सही-सलामत है।
स्थानीय नागरिकों का आरोप: सरकारी धन की बर्बादी
स्थानीय निवासी कुलदीप सिंह, जयप्रकाश माथुर, करण सिंह सहित अन्य लोगों ने आरोप लगाया कि नगर पालिका ने बिना तकनीकी निरीक्षण के गलत तरीके से टेंडर जारी किया है। कुलदीप सिंह ने स्पष्ट कहा –
"यह गली 6 महीने पहले बनी थी। इसे उखाड़कर दोबारा बनाने का क्या औचित्य है? इससे सरकारी धन और संपत्ति दोनों का नुकसान हो रहा है। नगर पालिका में मिलीभगत की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।"
लोगों का कहना है कि जहाँ वास्तव में गलियों और सड़कों की जरूरत है, वहाँ पर नगर पालिका ध्यान नहीं दे रही। बल्कि सही-सलामत निर्माण को तोड़कर पुनः टेंडर कर दिया जा रहा है।
व्यवसायियों और आम जनता की परेशानी
स्थानीय निवासियों का कहना है कि सड़क बंद होने से आमजन और व्यापारियों को भी दिक्कत हो रही है। जयप्रकाश माथुर ने बताया कि 6 महीने पहले जब इस गली का निर्माण हुआ था, तब वर्षों की परेशानी दूर हुई थी। अब फिर इसे उखाड़ने से आसपास के होटलों और दुकानों का कामकाज प्रभावित होगा।
समाजसेवी ने उठाई आवाज
समाजसेवी करण सिंह जांगड़ा ने कहा कि सड़क बनना अच्छी बात है, लेकिन केवल वहाँ बने जहाँ जरूरत हो। उन्होंने आरोप लगाया कि ठेकेदार द्वारा जगह-जगह से ब्लॉक तोड़े गए हैं और सही-सलामत चौक को उखाड़ा गया है। इससे सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा है, जिसकी जांच प्रशासन द्वारा की जानी चाहिए।
ठेकेदार का पक्ष
ठेकेदार पक्ष से मौजूद संदीप बिश्नोई ने कहा कि उनके पास सिरसा-चंडीगढ़ रोड से स्कूल तक का टेंडर है और वे केवल वही काम कर रहे हैं जो नगर पालिका ने उन्हें दिया है। उन्होंने कहा –
"अगर सही-सलामत गली को तोड़ने का टेंडर जारी हुआ है तो यह नगर पालिका की गलती है। हमारे पास जो टेंडर है, उसी के अनुसार हम कार्य कर रहे हैं।"
अधिकारियों की चुप्पी और टाल-मटोल
इस मामले पर नगर पालिका के कनिष्ठ अभियंता नवदीप नैन से संपर्क साधने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
नगर पालिका सचिव संदीप शर्मा ने पहले कहा कि वे जानकारी लेकर बताएंगे, लेकिन बाद में उनसे दोबारा संपर्क नहीं हो सका।
नगर पालिका अध्यक्ष का पक्ष
नगर पालिका अध्यक्ष सुशील साहूवाला ने बताया कि उन्हें स्थानीय नागरिकों के फोन पर जानकारी मिली थी। उन्होंने कनिष्ठ अभियंता को मौके पर जाकर जांच करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा –
"यदि गली सही-सलामत है तो उसे नुकसान न पहुँचाया जाए। टेंडर लगाने से पूर्व तकनीकी शाखा निरीक्षण करती है, तभी कार्य स्वीकृत होता है।"
बड़ा सवाल: जांच हुई या मिलीभगत?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब गली महज छह महीने पहले ही बनी थी, तो फिर तकनीकी शाखा ने निरीक्षण किए बिना टेंडर कैसे स्वीकृत कर दिया?
क्या यह मामला अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत का है?
या फिर नगर पालिका की तकनीकी टीम ने औपचारिक जांच किए बिना जल्दबाज़ी में टेंडर पास कर दिया?
स्थानीय लोगों की मांग
ग्रामीणों और समाजसेवियों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच हो, ताकि सरकारी धन की बर्बादी और जनता की परेशानी रोकी जा सके।
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