स्थानीय निवासियों ने रोका निर्माण कार्य — निगम की मनमानी के खिलाफ न्यायालय जाने की तैयारी
रांची, संवाददाता।
राजधानी रांची के लोहा सिंह मार्ग स्थित रामनगर आईटीआई परिसर में बन रहे कचरा प्रोसेसिंग प्लांट को लेकर स्थानीय निवासियों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। शनिवार को बड़ी संख्या में लोग एकजुट होकर निर्माण कार्य को रोकने पहुंचे। नागरिकों ने स्पष्ट कहा कि वे किसी भी कीमत पर आबादी वाले क्षेत्र में यह प्लांट नहीं बनने देंगे।
निवासियों के अनुसार, इस प्लांट के संचालन से न सिर्फ़ पूरे क्षेत्र में दुर्गंध और प्रदूषण फैलेगा, बल्कि आसपास के अस्पताल, स्कूल, कॉलेज और बच्चों के खेलने के मैदान पर भी इसका गंभीर असर पड़ेगा।
“आबादी क्षेत्र में कचरा प्लांट नहीं बनेगा” — स्थानीय नागरिकों का दो टूक ऐलान
स्थानीय निवासियों ने एकजुट होकर कहा कि यह इलाका घनी आबादी वाला है। सामने चिल्ड्रन अस्पताल है, आसपास कॉलेज कैंपस और कई निजी संस्थान हैं। ऐसे में यहाँ कचरा प्रोसेसिंग प्लांट लगाना लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ है।
लोगों ने बताया कि आईटीआई मैदान ही इस क्षेत्र में एकमात्र खुला स्थान है जहाँ बच्चे खेलते हैं, बुज़ुर्ग टहलते हैं और लोग सुबह-शाम सैर करते हैं। अगर यहाँ प्लांट बनता है तो पूरे मोहल्ले की हवा और पानी प्रदूषित हो जाएगा।
नगर निगम की कठोर टिप्पणी से भड़का विरोध
सूत्रों के अनुसार, जब स्थानीय लोगों ने नगर निगम से निर्माण रोकने और वैकल्पिक स्थान पर प्लांट स्थापित करने की अपील की, तो नगर निगम की इंफोर्समेंट टीम ने कहा —
“कंपनी का पैसा लग गया है, अब न हम सुनेंगे, न समझेंगे, काम चलता रहेगा चाहे जो भी हो।”
इस रवैये से स्थानीय लोग बेहद आक्रोशित हो उठे। निवासियों ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया कि नगर निगम की इस मनमानी के खिलाफ वे उच्च न्यायालय में जनहित याचिका (PIL) दायर करेंगे।
“स्वास्थ्य केंद्र के लिए जमीन नहीं, कचरा प्लांट के लिए मिल गई जगह” — समाजसेवी कुमुद झा
प्रसिद्ध समाजसेवी कुमुद झा ने नगर निगम के रवैये पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा —
“इस क्षेत्र में कई बार स्वास्थ्य केंद्र और छोटा बच्चों का पार्क बनाने के लिए अनुरोध किया गया, लेकिन निगम ने हर बार कहा कि जमीन नहीं है। अब जब कचरा प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की बात आई तो तुरंत जमीन मिल गई! यह जनता के साथ अन्याय है।”
उन्होंने आगे कहा कि प्लांट से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्ट और रिसाइकलिंग से होने वाले प्रदूषण से यहाँ की वायु और जल दोनों दूषित होंगे। “निगम के पास प्रदूषण नियंत्रण का कोई ठोस उपाय नहीं है, और पौधरोपण के लिए एक इंच भी जगह नहीं छोड़ी जा रही,” झा ने कहा।
जनता ने कहा – न्यायालय से ही मिलेगा न्याय
स्थानीय लोगों का कहना है कि अब वे नगर निगम की अपीलें सुन-सुनकर थक चुके हैं। उनका स्पष्ट कहना है कि वे अब सीधे न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाएँगे।
निवासियों ने कहा कि यदि प्रशासन ने निर्माण कार्य जारी रखा, तो वे बड़े स्तर पर जन आंदोलन शुरू करेंगे।
स्थानीय प्रतिनिधि और नागरिक समाज की उपस्थिति
आंदोलन में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद रहे। प्रमुख रूप से दिलीप वर्मा, प्रकाश कुमार, जितेंद्र शुक्ला, राधाकांत गिरी, शैलेश कुमार, पल्लव कुमार, राजू कुमार, ललित बड़ाइक, रविंद्र तिर्की, श्रीवास्तव सहित सैकड़ों नागरिक मौजूद रहे।
इन सभी ने एक स्वर में कहा कि वे अपने बच्चों के भविष्य और स्वच्छ पर्यावरण के लिए अंतिम दम तक संघर्ष करेंगे।
पृष्ठभूमि और विवाद की जड़
रांची नगर निगम ने कुछ माह पहले लोहा सिंह मार्ग स्थित आईटीआई मैदान परिसर में एक कचरा प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई थी। यह परियोजना नगर निगम और एक निजी ठेकेदार कंपनी के संयुक्त सहयोग से चलाई जा रही है।
निगम का तर्क है कि शहर में बढ़ते कचरे के निस्तारण के लिए यह प्लांट आवश्यक है। वहीं नागरिकों का कहना है कि यह निर्णय बिना सार्वजनिक परामर्श और पर्यावरणीय मूल्यांकन के लिया गया है।
लोगों की माँग — प्लांट को आबादी से दूर शिफ्ट किया जाए
स्थानीय जनता ने प्रशासन से मांग की है कि अगर कचरा प्रोसेसिंग प्लांट आवश्यक है तो उसे शहर की सीमा से बाहर या औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित किया जाए। उन्होंने कहा कि रांची की आबादी लगातार बढ़ रही है और ऐसे में इस प्रकार की परियोजनाएँ केवल प्रदूषण और बीमारियों को जन्म देंगी।
रामनगर आईटीआई मैदान का यह विवाद अब सिर्फ एक मोहल्ले का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह जन स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा से जुड़ा बड़ा सवाल बन गया है।
अब देखना होगा कि नगर निगम अपने निर्णय पर अड़ा रहता है या जनता की आवाज़ सुनकर वैकल्पिक रास्ता निकालता है।
फ़िलहाल, नागरिक समाज और स्थानीय लोग एक ही स्वर में कह रहे हैं —
“हम अपने बच्चों की साँसों में ज़हर नहीं घुलने देंगे, न्यायालय ही अब आख़िरी उम्मीद है।”

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