ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र, हरमू रोड में अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस सप्ताह पर भव्य आध्यात्मिक आयोजन
वक्ताओं ने कहा – आत्मा न बूढ़ी होती है, न जवान; वृद्धावस्था जीवन का वरदान है, अभिशाप नहीं
राँची। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवा केंद्र चौधरी बगान, हरमू रोड में अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस सप्ताह के अवसर पर रविवार को “संगम – गौरवपूर्ण वृद्धावस्था एवं सम्मानित जीवन” शीर्षक से एक भव्य, भावनात्मक और प्रेरणादायक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का उद्देश्य वृद्धजनों के जीवन-संघर्ष, अनुभव, त्याग और योगदान को सम्मान देना तथा समाज को यह संदेश देना था कि वृद्धावस्था जीवन की संध्या नहीं, बल्कि आत्मिक परिपक्वता और सृजनशीलता का स्वर्णकाल है।
दीप प्रज्वलन से हुई कार्यक्रम की शुरुआत
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और स्वागत नृत्य के साथ हुआ। दीप प्रज्वलन का कार्य अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष श्री राजेंद्र मिश्रा ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा—
“हर यात्रा की तैयारी करनी होती है, और इस जीवन यात्रा की तैयारी बाल्यकाल से ही करनी चाहिए। झुर्रियाँ चेहरे पर आ सकती हैं, लेकिन उन्हें हृदय पर मत पड़ने दीजिए, क्योंकि हृदय ही उमंग और उत्साह का स्रोत है। आत्मा न बूढ़ी होती है, न जवान।”
उनके इन शब्दों ने उपस्थित श्रोताओं के हृदय में गहरी छाप छोड़ी।
वृद्धावस्था आत्मिक यात्रा का स्वर्णकाल – डॉ. प्रियदर्शिनी विजयलक्ष्मी
राँची विश्वविद्यालय की पूर्व विभागाध्यक्ष (दर्शनशास्त्र) डॉ. प्रियदर्शिनी विजयलक्ष्मी ने कहा—
“प्रकृति सिर के बालों को सफेद कर देती है, पर मन को स्वच्छ रखना हमारा अपना कार्य है। जीवन के अंतिम पड़ाव पर यदि दुःख है, तो हमें उसके कारणों को समझकर सुधारना होगा। अब तो पूरी सृष्टि ही वानप्रस्थ की ओर बढ़ रही है।”
उन्होंने वृद्धजनों से आग्रह किया कि वे अपने जीवन के अनुभवों को नई पीढ़ी तक पहुँचाएँ, ताकि समाज उनके मार्गदर्शन से दिशा पा सके।
राजयोग अभ्यास से वृद्धावस्था को वरदानी बनाएं – सत्येंद्र किशोर
कोल इंडिया के पूर्व जी.एम. सत्येंद्र किशोर ने अपने वक्तव्य में कहा—
“वृद्ध तो केवल शरीर होता है, आत्मा तो अजर-अमर है। जितना हम देहाभिमान छोड़ आत्मस्मृति का अभ्यास करेंगे, उतना ही उम्र के नकारात्मक प्रभावों से मुक्त रहेंगे। निरंतर राजयोग का अभ्यास कर्मभोग को कर्मयोग में और वृद्धावस्था को वरदानी अवस्था में परिवर्तित कर देता है।”
उन्होंने कहा कि मन का सकारात्मक चिंतन और धैर्य शारीरिक उम्र की सीमाओं को समाप्त कर देते हैं।
“अब आप वरदानी बन चुके हैं” – प्रो. सुनीता ठाकुर
प्रोफेसर डॉ. सुनीता ठाकुर ने वृद्धजनों से भावनात्मक अपील करते हुए कहा—
“आप अब वरदानी बन चुके हैं। ईश्वरीय ज्ञान, योग और सेवा में अपने जीवन को इतना व्यस्त रखिए कि जीवन सार्थक हो जाए। लोग आपको वृद्ध नहीं, बल्कि वरदानी मूर्ति के रूप में देखें। अब आपका कार्य है — भगवान शिव से लेते रहना और सबको देते रहना।”
“अब तन, धन ही नहीं, मन से भी दीजिए दुआएं” – सुधा लील्हा
दीपशिखा संस्था की निदेशक सुधा लील्हा ने कहा—
“आपने जीवन भर अच्छे कर्म किए हैं। अब उनके फल की चिंता मत कीजिए। सदा याद रखें, आप वृद्ध नहीं, वरदानी आत्मा हैं। अब तन और धन के साथ-साथ मन से भी दुआ और आशीर्वाद देने में व्यस्त रहें।”
“उमंग और हिम्मत रखने वाला ही सच्चा जवान है” – किशन साबू
माहेश्वरी सभा के अध्यक्ष किशन साबू ने कहा—
“शरीर को धारण करने वाली आत्मा तो वही है जो गर्भ में थी, फिर बुढ़ापा कैसा? जो व्यक्ति थकान, निराशा या खीझ अनुभव करता है, वही बूढ़ा है। जिसमें आशा, उत्साह और हिम्मत है, वही सच्चा जवान है। महात्मा गांधी, मदर टेरेसा और दादी प्रकाशमणि कभी बूढ़े नहीं लगे, क्योंकि उनकी सोच ऊँची थी।”
“वृद्धावस्था भी वरदान है” – ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन
मुख्य वक्ता ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में कहा—
“जीवन गतिशील है, जिसके चार पड़ाव हैं — बचपन, जवानी, वृद्धावस्था और मृत्यु। परंतु हर अवस्था जीवन का हिस्सा है और प्रत्येक पल उपयोगी है। अनेक महापुरुषों ने वृद्धावस्था में ही अपने श्रेष्ठ कार्यों की शुरुआत की और इतिहास रच दिया।”
उन्होंने आगे कहा—
“सृष्टि के आदिकर्ता ब्रह्मा को वृद्ध रूप में दर्शाया गया है, जो अनुभव और पितातुल्य प्रेम का प्रतीक है। प्रजापिता ब्रह्माबाबा ने 93 वर्ष की आयु तक निरंतर ईश्वरीय कार्य किया और आज भी उनके अव्यक्त रूप से विश्व परिवर्तन का कार्य जारी है।”
सम्मान समारोह और ध्यान सत्र
कार्यक्रम के दौरान गाइडेड मेडिटेशन के माध्यम से उपस्थित जनों को राजयोग अभ्यास कराया गया। पूरा वातावरण शांति, दिव्यता और सकारात्मक ऊर्जा से भर गया। इसके पश्चात सभी वृद्धजनों को शॉल और पुष्पमालाओं से सम्मानित किया गया।
सम्मानित अतिथि और विशेष उपस्थितियां
इस अवसर पर अशोक सिन्हा (सीनियर मैनेजर, उषा मार्टिन), अजय वर्मा (उपायुक्त, वाणिज्य कर विभाग), साकेत बिहारी (पूर्व बैंक प्रबंधक), सत्य नारायण शर्मा, अमरेन्द्र विष्णुपुरी, रतन मोदी, ले. कर्नल रोबिन देव, विनोद कुमार पांडे (पूर्व जी.एम., सीएमपीडीआई) सहित 80 से अधिक वरिष्ठ नागरिक एवं समाजसेवी उपस्थित रहे। सभी ने वृद्धावस्था को गरिमा और गौरव के साथ जीने का संदेश दिया।
राजयोग प्रशिक्षण प्रतिदिन निःशुल्क
कार्यक्रम के अंत में यह जानकारी दी गई कि राजयोग का निःशुल्क प्रशिक्षण प्रतिदिन प्रातः 7:00 बजे से 10:00 बजे तक और संध्या 3:00 बजे तक ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र, चौधरी बगान, हरमू रोड, राँची में दिया जाता है।
पूरे कार्यक्रम के दौरान श्रद्धा, अनुशासन और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम दिखाई दिया। उपस्थित सभी वृद्धजन आत्मिक संतोष और प्रसन्नता से परिपूर्ण होकर लौटे।
अंत में सभी ने एक स्वर में कहा — “वृद्धावस्था नहीं, वरदानी अवस्था — यही हमारा संगम संकल्प है।”

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