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श्रीमद् भागवत कथा ही कलयुग के प्रभाव से दूर कर सकती हैं: मां चैतन्य मीरा



रांची। 
अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन रांची शाखा के तत्वावधान में अग्रसेन पथ स्थित अग्रसेन भवन में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। कथा का वाचन एवं प्रवचन पुण्यात्मा संत मां चैतन्य मीरा द्वारा किया गया।

गुरु मां ने अपने प्रवचन में बताया कि किस प्रकार से राजा परीक्षित को एक ऋषि के श्राप का सामना करना पड़ा और किस तरह कलयुग ने स्वर्ण में आश्रय लेकर स्वयं परीक्षित की बुद्धि को भ्रमित कर दिया। उन्होंने कहा कि आज के समय में भी यही कलयुग का प्रभाव है, जिसके कारण समाज में आपसी भेदभाव, गृह क्लेश, असंतोष और अविश्वास जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो रही हैं।

उन्होंने स्पष्ट कहा— “कलयुग में केवल प्रभु का नाम और श्रीमद् भागवत कथा ही ऐसे साधन हैं, जो हमें इन नकारात्मक प्रभावों से दूर कर सकते हैं। यदि हम भक्ति मार्ग से जुड़कर प्रभु के प्रति आस्था और प्रेम बनाए रखें, तो किसी भी परिस्थिति में हमारा अहित नहीं हो सकता। जीवन का सच्चा कल्याण तभी संभव है जब हम प्रभु से जुड़े रहें।”

ध्यान और योग शिविर

मां चैतन्य मीरा ने आगे बताया कि उनके नासिक स्थित आश्रम में नियमित रूप से ध्यान और योग के शिविर लगाए जाते हैं। अब इन शिविरों का विस्तार नासिक के अतिरिक्त देश के अन्य हिस्सों में भी किया जाएगा। इन शिविरों का उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को मानसिक शांति, एकाग्रता और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, तनाव और अवसाद जैसी समस्याओं से जूझ रही है। योग और ध्यान के माध्यम से इन व्याधियों को दूर कर स्वस्थ और संतुलित जीवन की ओर बढ़ा जा सकता है।

गौ सेवा और वृक्षारोपण

कार्यक्रम के दौरान महिला मंडल ने गौ सेवा को विशेष महत्व दिया। द्वितीय दिवस सेवा कार्य के तहत गुरु मां और शाखा की बहनों ने सुकुरहुटु गौशाला का भ्रमण किया। वहां उन्होंने गायों को गुड़, रोटियां, चारा और सब्जियां खिलाईं। साथ ही गौशाला परिसर में कल्पवृक्ष और फलदार वृक्ष भी लगाए गए।

गुरु मां ने गौ सेवा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा— “भगवान श्रीकृष्ण स्वयं गायों के बीच गोविंद बनकर रहे। गौमाता की सेवा से हमें सीधे भगवान का सान्निध्य प्राप्त होता है। गोमूत्र से 140 से अधिक रोगों का उपचार संभव है। अतः हमें दूध, दही और घी के रूप में गौ माता के उत्पादों का ही सेवन करना चाहिए।”

श्रद्धा और भक्ति का माहौल

कथा के समापन पर समिति की बहनों ने सामूहिक आरती उतारी और प्रसाद का वितरण किया। इस दौरान अग्रसेन भवन का वातावरण भक्तिमय हो उठा और उपस्थित श्रोता भाव-विभोर होकर भक्ति रस में डूब गए।

आयोजन को सफल बनाने में सहयोग

इस सात दिवसीय कथा के दूसरे दिन के आयोजन को सफल बनाने में समिति की बहनों की उल्लेखनीय भूमिका रही। इनमें रूपा अग्रवाल, अनसूया नेवटिया, अलका सरावगी, मधु सराफ, उर्मिला पड़िया, नैना मोर, प्रीती बंका, मंजू केडिया, बीना मोदी, रीना सुरेखा, बीना बूबना, प्रीती पोद्दार, शोभा हेतमसरिया, मीरा टिंबरेवाल, करुणा अग्रवाल, सीमा टॉटीया, प्रीती अग्रवाल, मीना अग्रवाल, रेनू राजगढ़िया, पूनम टेकरीवाल, रेखा अग्रवाल, छाया अग्रवाल, सीमा पोद्दार, सुनैना लॉयलका, प्रीति फोगला, रीता केडिया, शशि डागा, सरिता मोदी, प्रीति केडिया, बबीता नर्सरिया, जय बिजावत, सुषमा पोद्दार, मंजू गाड़ोदिया आदि शामिल थीं।

अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन रांची शाखा की ओर से यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय संदेश देने वाला भी साबित हो रहा है।

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