एसआईआर के खिलाफ विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों का एकजुट मोर्चा, झारखंड विधानसभा से विशेष सत्र बुलाने की मांग
रांची । राज्य की राजधानी रांची में सोमवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राज्य कार्यालय, अल्बर्ट एक्का चौक पर झारखंड के विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की संयुक्त बैठक आयोजित हुई।
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित एस.आई.आर. (State Identification Register) योजना के विरोध में झारखंड सरकार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर भारत निर्वाचन आयोग को स्पष्ट संदेश भेजना चाहिए कि राज्य में इस तरह की योजना लागू नहीं की जाएगी।
“एसआईआर, एनआरसी का पिछला दरवाजा है”
बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की प्रदेश उपाध्यक्ष अनीता यादव ने की। बैठक में प्रमुख रूप से शामिल नेताओं में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव महेंद्र पाठक, माकपा के राज्य सचिव मंडल सदस्य सुखनाथ लोहारा, भाकपा (माले) के सचिव मंडल सदस्य मोहन दत्ता, ऑल इंडिया मुस्लिम समाज राष्ट्रीय अध्यक्ष व भारतीय मुस्लिम विकास परिषद के अब्दुल्ला अजहर कासमी, झारखंड मुक्ति मोर्चा के आज़म खान, कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष रज़ी अहमद खान, भाकपा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य पी.के. पांडे, खेत मजदूर यूनियन के सचिव इम्तियाज़ खान, एटक के सचिव अशोक यादव, और कई अन्य नेता मौजूद थे।
नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार एसआईआर के नाम पर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को “पिछले दरवाजे से लागू” करने की कोशिश कर रही है। यह कदम गरीब, दलित, आदिवासी, महिला और प्रवासी मजदूर समुदाय के नागरिक अधिकारों को छीनने की साजिश है।
“वंचित समाज के खिलाफ केंद्र की साजिश”
नेताओं का आरोप है कि झारखंड में पहले से ही वंचित तबकों — आदिवासियों, दलितों और विस्थापितों — की स्थिति बेहद खराब है। बड़ी संख्या में लोग अपनी जमीन, मकान और आजीविका से बेदखल हो चुके हैं। अब उन्हें “बांग्लादेशी” या “विदेशी” बताकर नागरिकता से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा है।
नेताओं ने कहा कि यह संविधान विरोधी कदम है, जिसका विरोध हर स्तर पर किया जाएगा।
भाकपा के राज्य सचिव महेंद्र पाठक ने कहा —
“एसआईआर जैसी योजनाएं दरअसल एनआरसी का नया रूप हैं। इससे आम नागरिकों की नागरिकता पर संदेह पैदा किया जाएगा। हम इसे किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने देंगे।”
“विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए झारखंड सरकार”
बैठक में उपस्थित सभी दलों और संगठनों ने झारखंड सरकार से मांग की कि इस मुद्दे पर तुरंत विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर एक प्रस्ताव पारित किया जाए, जैसा कि केरल विधानसभा ने किया था।
नेताओं ने कहा कि झारखंड विधानसभा को स्पष्ट रूप से यह संदेश देना चाहिए कि राज्य में एसआईआर लागू नहीं होगा और केंद्र सरकार के किसी भी “विभाजनकारी निर्णय” को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
“वोट चोर गद्दी छोड़ो” का नारा और जनसंघर्ष की घोषणा
बैठक में मौजूद नेताओं और कार्यकर्ताओं ने “वोट चोर गद्दी छोड़ो”, “एसआईआर वापस लो”, और “हम सब एक हैं, संविधान के रक्षक हैं” जैसे नारों के साथ माहौल को जोशीला बना दिया।
नेताओं ने घोषणा की कि आगामी 15 अक्टूबर को रांची में सभी राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की एक बड़ी बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें राज्यव्यापी आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी।
माकपा नेता सुखनाथ लोहारा ने कहा —
“यह लड़ाई सिर्फ एक कागज़ी नीति के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह झारखंड की अस्मिता, उसकी पहचान और आम लोगों के अधिकारों की रक्षा की लड़ाई है।”
“धर्मनिरपेक्ष ताकतें एकजुट हों”
बैठक में यह भी तय किया गया कि झारखंड की सभी धर्मनिरपेक्ष, प्रगतिशील और समाजवादी शक्तियाँ एकजुट होकर भाजपा की “साजिश” को नाकाम करेंगी।
नेताओं ने जनता से अपील की कि वे जाति, धर्म और भाषा के भेदभाव से ऊपर उठकर संविधान की रक्षा और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए एकजुट हों।
अनीता यादव ने कहा —
“यह सिर्फ राजनीतिक लड़ाई नहीं है, यह इंसानियत और संविधान की लड़ाई है। झारखंड की जनता हर बार तानाशाही सोच के खिलाफ खड़ी हुई है और इस बार भी खड़ी होगी।”
बैठक में उपस्थित प्रमुख नेता
बैठक में उपस्थित अन्य प्रमुख सदस्यों में नागेंद्र चौधरी, इरशाद हुसैन, परवेज़ अहमद, इलियास अंसारी, मोहम्मद अली अंसारी, किरण कुमारी, आरती कुमारी (समाजवादी पार्टी), राजेंद्र गोप, सुशील कालिंदी, संतोष कुमार रजक, और अजय कुमार सिंह शामिल थे।
राज्य के राजनीतिक और सामाजिक संगठनों का यह संयुक्त मंच अब स्पष्ट रूप से केंद्र सरकार के “एसआईआर” प्रस्ताव के खिलाफ राज्यव्यापी जन आंदोलन की तैयारी में जुट गया है।

कोई टिप्पणी नहीं: